कोहिमाः नगालैंड में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सभी सात विधायक शनिवार को सत्तारूढ़ एनडीपीपी में शामिल हो गए, जिससे मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली पार्टी को 60 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत मिल गया। इस विलय के साथ ही, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 32 हो गई। अविभाजित राकांपा में टूट के बाद, पार्टी की नागालैंड इकाई ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट का साथ दिया था। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में एनडीपीपी और उसकी सहयोगी भाजपा के बाद, राकांपा राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जिसने 12 सीट जीती थी। विधानसभा अध्यक्ष शारिंगैन लोंगकुमेर द्वारा जारी आदेश के अनुसार, सातों विधायकों ने स्वयं उपस्थित होकर औपचारिक पत्र सौंपे, जिनमें एनडीपीपी में विलय का उनका निर्णय बताया गया।
उन्होंने कहा कि यह विलय संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत संवैधानिक आवश्यकता को पूरा करता है। आदेश में कहा गया है कि नगालैंड विधानसभा के सदस्य (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 2019 के अनुरूप, विधानसभा अध्यक्ष ने विलय को मंजूरी दे दी और विधानसभा सचिवालय को पार्टी संबद्धता रिकॉर्ड को उस अनुसार अद्यतन करने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार में मंत्री के जी केन्ये ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आज शाम, सात राकांपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना विलय पत्र सौंपा, जिसे उन्होंने विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही 14वीं नगालैंड विधानसभा में एनडीपीपी के सदस्यों की संख्या 25 से बढ़कर 32 हो गई है।’’
राज्य सरकार के प्रवक्ता केन्ये ने कहा, ‘‘इस घटनाक्रम से हमारे मुख्यमंत्री और सरकार के कामकाज को मजबूती मिलेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि इस विलय से सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, उन्होंने कहा कि ‘‘कोई स्थायी फॉर्मूला नहीं है।’’
राज्य में राकांपा नेताओं और पाला बदलने वाले विधायकों से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका। एनडीपीपी के 32 और भाजपा के 12 विधायकों के अलावा, राज्य विधानसभा में एनपीपी के पांच, लोजपा (रामविलास), नगा पीपुल्स फ्रंट और आरपीआई (आठवले) के दो-दो सदस्य, जद(यू) का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।
नगालैंड में राकांपा के विधायकों के रियो सरकार में शामिल होने पर अजित पवार बोले, काम नहीं होने से थी बेचैनी
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि नगालैंड में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सात विधायक “काम न होने से बेचैनी” के कारण वहां सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए। राकांपा के सभी सात विधायक शनिवार को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए, जिससे 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 32 हो गई। पूर्वोत्तर राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों में एनडीपीपी और उसकी सहयोगी भाजपा के बाद राकांपा राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
भाजपा ने 12 सीट जीती थीं। जुलाई 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन होने और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के महाराष्ट्र में तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद, इन सात विधायकों ने पार्टी के संस्थापक शरद पवार के बजाय उपमुख्यमंत्री के साथ रहना पसंद किया था।
अजित पवार ने यहां मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "दो महीने पहले सभी विधायकों ने मुझसे मुलाकात की थी और वहां (नगालैंड में) उनके काम नहीं होने की शिकायत की थी। वहां बेचैनी थी, यह सच है। ये विधायक असहज महसूस कर रहे थे।" एनडीपीपी के 32 और भाजपा के 12 विधायकों के अलावा, राज्य विधानसभा में एनपीपी के पांच, लोजपा (रामविलास), नगा पीपुल्स फ्रंट और आरपीआई (आठवले) के दो-दो सदस्य, जद(यू) का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।