लाइव न्यूज़ :

पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध करने वाला पति सजा के लिए उत्तरदायी, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा

By भाषा | Updated: March 24, 2022 16:47 IST

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पत्नी के कथित रूप से बलात्कार करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने तथा बेटी के यौन उत्पीड़न को लेकर चल रहा मुकदमा खारिज करने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर यह व्यवस्था दी।

Open in App
ठळक मुद्दे संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के विरुद्ध होगा।पति द्वारा बनाए गए यौन संबंध और अन्य यौन गतिविधियों को छूट दी गई है।महिला अलग दर्जा प्राप्त है, लेकिन पत्नी के रूप में उसका दर्जा बदल जाता है।

बेंगलुरुः कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 की भावनाओं के विरुद्ध है, जो समानता की बात करता है।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पत्नी के कथित रूप से बलात्कार करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने तथा बेटी के यौन उत्पीड़न को लेकर चल रहा मुकदमा खारिज करने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर यह व्यवस्था दी। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने इस व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘‘अगर एक पुरुष, एक पति, वह जो पुरुष है, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत आने वाले अपराध के आरोपों से छूट दे दी जाती है तो वह कानून के ऐसे प्रावधान के समक्ष असमानता होगी।

इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के विरुद्ध होगा।’’ यह रेखांकित करते हुए कि पति द्वारा बनाए गए यौन संबंध और अन्य यौन गतिविधियों को छूट दी गई है, अदालत ने कहा कि एक महिला को बतौर महिला अलग दर्जा प्राप्त है, लेकिन पत्नी के रूप में उसका दर्जा बदल जाता है। इसी तरह पुरुष को बतौर पुरुष उसकी गलतियों के लिए सजा दी जाती है, लेकिन उसी पुरुष को पति होने पर छूट मिल जाती है। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘यह वह असमानता है, जो संविधान की आत्मा, समानता का अधिकार, को चोट पहुंचा रहा है।’’

संविधान के तहत सभी मानवमात्र के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए फिर चाहे वह महिला हो या अन्य और असमानता की कोई भी सोच, अगर किसी भी कानून के प्रावधान में मौजूद है तो वह संविधान के अनुच्छेद 14 की भावनाओं के विरुद्ध है।

न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘संविधान में जिस स्त्री/पुरुष को समान बताया गया है उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के छूट-2 (एक्सेप्शन-2) के तहत असमान नहीं बनाया जा सकता। कानून निर्माताओं को कानून में मौजूद ऐसी असमानताओं पर विचार करना चाहिए।’’ 

टॅग्स :कर्नाटकहाई कोर्टरेप
Open in App

संबंधित खबरें

भारतफिर खुलेगी आईएएस संतोष वर्मा की फाइल, हाईकोर्ट ने पुलिस जांच को दी मंजूरी

क्राइम अलर्टKarnataka: बेलगावी में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म, 2 आरोपी गिरफ्तार

भारतKarnataka Politics: एक बार फिर ब्रेकफास्ट टेबल पर सिद्धारमैया-शिवकुमार, डिप्टी सीएम के घर पहुंचे CM सिद्धारमैया

क्रिकेटटीम इंडिया से बाहर, 10 चौका, 8 छक्का, 50 गेंद और नाबाद 113 रन?, त्रिपुरा बॉलर पर टूटे इशान किशन

क्रिकेटकर्नाटक राज्य क्रिकेट संघः क्या फिर से बाजी मार पाएंगे पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद?, केएससीए चुनाव में केएन शांत कुमार दे रहे टक्कर

भारत अधिक खबरें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक