इंफाल: एन बीरेन सिंह ने सोमवार को दूसरी बार मणिपुर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल एल गणेशन ने उन्हें राजधानी इंफाल में सीएम पद की शपथ शपथ दिलाई। वहीं, दूसरी बार सीएम बनने के बाद सिंह का बयान सामने आया है। उन्होंने अपनी मुख्य जिम्मेदारियों के बारे में बताया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सिंह ने कहा, "मेरी सरकार का पहला कदम इसे भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाना होगा। मैं राज्य से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए दिन-रात काम करूंगा।"
उन्होंने आगे कहा, "अगला कदम राज्य से किसी भी तरह के ड्रग संबंधी मामले को खत्म करना होगा। तीसरा, मैं यह देखने की कोशिश करूंगा कि राज्य में सक्रिय सभी विद्रोहियों को बातचीत की मेज पर लाया जाए और संवाद हों। ये तीनों मेरे प्राथमिक कर्तव्य होंगे।" बता दें कि रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि नोंगथोम्बम बीरेन सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पत्रकार से नेता बने मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह राजनीति में कदम रखने से पहले फुटबॉल खिलाड़ी भी रहे हैं।
अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 2002 में डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी से करने वाले सिंह राज्य की हेनगांग विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। हालांकि, पहला चुनाव जीतने के बाद सिंह वर्ष 2003 में कांग्रेस में शामिल हो गए और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री रहे।
वह लगातार इबोबी सिंह के विश्वासपात्र बने रहे और वर्ष 2007 में अपनी सीट से दोबारा चुनाव जीतने के बाद उन्हें सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, युवा मामले एवं खेल और उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। एन बीरेन सिंह ने वर्ष 2012 के चुनाव में भी लगातार तीसरी बार अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। हालांकि, इबोबी सिंह से मतभेदों के बाद उन्होंने इबोबी के खिलाफ बगावत कर दी।
इसके बाद वर्ष 2016 में बीरेन सिंह ने भाजपा में शामिल होने के लिए मणिपुर विधानसभा की सदस्यता के साथ ही कांग्रेस की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने नोंगथोम्बम बीरेन सिंह को प्रदेश पार्टी प्रवक्ता और चुनाव प्रबंधन समिति का सह-समन्वयक बनाया। वह भाजपा के टिकट पर वर्ष 2017 में चौथी बार हेनगांग सीट से चुनाव जीते, जिसके बाद उनका मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।