Sushil Modi Death: सुशील मोदी ने लालू यादव को न केवल मुख्यमंत्री की गद्दी से हटाया था, उन्हें सलाखों के पीछे भी पहुंचाया था, जानिए उनके बारे में

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 14, 2024 07:52 AM2024-05-14T07:52:26+5:302024-05-14T08:04:16+5:30

सुशील मोदी जनसंघ के जमाने से पटना विश्वविद्यालय की राजनीति में खासा प्रभाव रखते थे, यह वो समय था जब लालू यादव भी बतौर छात्रनेता अपना सशक्त प्रभाव दिखा रहे थे।

Sushil Modi Death: Sushil Modi not only removed Lalu Yadav from the post of Chief Minister, but also put him behind the bars, know about him | Sushil Modi Death: सुशील मोदी ने लालू यादव को न केवल मुख्यमंत्री की गद्दी से हटाया था, उन्हें सलाखों के पीछे भी पहुंचाया था, जानिए उनके बारे में

फाइल फोटो

Highlightsसुशील कुमार मोदी का गले के कैंसर के कारण दिल्ली एम्स में हुआ निधन, वो 72 वर्ष के थे5 जनवरी, 1952 को जन्मे सुशील मोदी बचपन से संघ की विचारधारा के प्रभावित थे1973 में पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ में लालू यादव अध्यक्ष और सुशील मोदी महासचिव चुने गये थे

पटना: बिहार की राजनीति में बड़े हस्ताक्षर के रूप में अपनी बेहद खास पहचान रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का गले के कैंसर के कारण सोमवार देर रात 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया।

बिहार की राजनीति में सुशील कुमार मोदी का कद इतना बड़ा था कि उनका नाम लिये बगैर वहां की राजनीति पर की गई चर्चा बेमानी रहेगी। 5 जनवरी, 1952 को जन्मे सुशील मोदी बचपन से संघ की विचारधारा के प्रभावित थे और जनसंघ के जमाने से पटना विश्वविद्यालय की राजनीति में खासा प्रभाव रखते थे, यह वो समय था जब लालू यादव भी बतौर छात्रनेता अपना सशक्त प्रभाव दिखा रहे थे।

यह बेहद दिलचस्प है कि सुशील मोदी ने राजनैतिक रूप से जिस लालू यादव का जीवन भर विरोध किया, उनके साथ उन्होंने छात्र जीवन में राजनीति की शुरुआत की थी। जी हां, साल 1973 लालू यादव और सुशील मोदी के लिए बेहद खास था क्योंकि इस साल लालू यादव पटना यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष और सुशील मोदी महासचिव चुने गये थे। भारतीय राजनीति में 70 का दशक खासा महत्वपूर्ण था। उस दशक में कांग्रेस की राजनीति प्रभावी थी और इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं।

इंदिरा गांधी ने अपने धैर्य, साहस और नेतृत्व कौशल से 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े किये और दुनिया के नक्शे पर एक नये बांग्लादेश का निर्णाण करके पूरे विश्व को चौंका दिया था। साल 1974 में देश के पहले परमाणु परीक्षण से इंदिरा सरकार की लोकप्रियता चरम पर थी लेकिन महज 1 साल के भीतर उसी इंदिरा शासन पर भ्रष्टाचार के ऐसे दाग लगने शुरू हुए कि देश की राजनीति में कांग्रेस का विरोध शुरू हो गया।

गुजरात से लेकर बिहार तक इंदिरा शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल छात्रों ने फूंक दिया और इसकी अगुवाई कर रहे थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्होंने 1975 में बिहार से संपूर्ण क्रांति का नारा दिया और उस नारे को उस वक्त सुशील मोदी, लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे युवा छात्रनेता एक साथ लगे रहे थे। हालांकि इंदिरा सरकार के खिलाफ मुनादी बजाने वाले सुशील मोदी और लालू यादव की राजनीतिक विचारधारा हमेशा से अलग रही। लालू यादव की तरह सुशील मोदी भी आपातकाल के दौरान जेल में गए थे।

यही कारण था कि बाद की राजनीति में सुशील मोदी लालू यादव के सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी बनकर उभरे। उन्होंने न केवल चारा घोटाले में लालू यादव को जेल कराई, बल्कि जब लालू यादव ने मनमोहन सिंह यूपीए शासन में रेल मंत्री की भूमिक निभाई तो सुशील मोदी ने उन्हें वहां भी नहीं बख्शा और उन पर रेलवे में 'जमीन के बदले नौकरी' का आरोप लगाया, जिसके आरोपों की जद में उनके बेटे और मौजूद लोकसभा चुनाव में राजद की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव भी हैं।

सुशील मोदी ने 'लालू लीला' नाम से चारा घोटाले पर एक किताब लिखी थी। 90 के दशक में सुशील मोदी बिहार के उन नेताओं में शुमार थे, जिन्होंने चारा घोटाले में लालू यादव की भूमिका को उजागर किया था।

सुशील मोदी साल 1996 में चारा घोटाले की जांच सीबीआई के कराने के लिए मामले को पटना हाईकोर्ट में ले गये। सुशील मोदी ने लालू यादव के खिलाफ जनहित याचिका दायर की, जिसके बाद बिहार की राजनीति में भारी परिवर्तन हुए।

झारखंड के चाईबासा के ट्रेजरी से खुलने वाले हुए इस घोटाले ने आखिरकार लालू यादव से न केवल मुख्यमंत्री की गद्दी ले ली बल्कि उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इसमें कोई शक नहीं कि बिहार और देश की राजनीति में लालू यादव के करिश्माई छवि को सबसे बड़ी चोट पहुंचाने वाले सुशील मोदी ही थे।

सुशील मोदी ने अपने तीन दशक लंबे राजनीतिक करियर में विधायक, एमएलसी और लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था।

Web Title: Sushil Modi Death: Sushil Modi not only removed Lalu Yadav from the post of Chief Minister, but also put him behind the bars, know about him

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे