लाइव न्यूज़ :

बीजेपी के मिशन 220 के सहारे महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद हासिल करना चाहती है शिवसेना

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 23, 2019 08:52 IST

लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा के नेता 'अब की बार 220 पार' का नारा दे रहे हैं. मजे की बात यह है कि शिवसेना इस तरह के नारे से बच रही है, जबकि इस नारे से उसी का ज्यादा लाभ है.

Open in App
ठळक मुद्देपिछले चुनाव में उसने उम्मीदवारों के भारी अभाव के बावजूद 260 सीटों से चुनाव लड़ा था. पिछली बार शिवसेना के पास भी उम्मीदवार नहीं थे, फिर भी उसने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

भाजपा की विशेष कार्यकारिणी की रविवार को संपन्न बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर साफ-साफ बात नहीं की गई. इसमें खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हैं. दरअसल, भाजपा के अधिकतर नेताओं को यह समझ में आ गया है कि शिवसेना के साथ गठजोड़ में उसका घाटा है और शिवसेना का फायदा!

लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा के नेता 'अब की बार 220 पार' का नारा दे रहे हैं. मजे की बात यह है कि शिवसेना इस तरह के नारे से बच रही है, जबकि इस नारे से उसी का ज्यादा लाभ है. उसका राजनीतिक मिशन फिलहाल किसी तरह मुख्यमंत्री पद हासिल करना है. भाजपा के साथ बातचीत में ही वह इसे प्राप्त कर लेना चाहती है ताकि बाद में विवाद की स्थिति पैदा न हो.

इसीलिए वह आदित्य ठाकरे की 'जन आशीर्वाद यात्रा' के जरिए दबाव बनाना चाहती है. भाजपा के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष और राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल दो-तीन बार कह चुके हैं कि भाजपा और शिवसेना सहयोगी घटक दलों को सीटें छोड़ने के बाद समान सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. मोटे-मोटे तौर पर दोनों दल 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. यानी कि 18 सीटें सहयोगी दलों छोड़ी जाएंगी.

इनमें प्रमुख रूप से महादेव जानकर की अगुवाई वाली राष्ट्रीय समाज पार्टी और रामदास आठवले के नेतृत्व वाली आरपीआई शामिल हैं. पाटिल यह भी कह रहे हैं कि मौजूदा स्थिति में जो सीट जिस दल के पास है वह सीट उसी दल को दी जानी चाहिए. यदि शिवसेना इस शर्त को नहीं मानती है, तो हो सकता है दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो पाएगा. भाजपा का गणित साफ है.

उसके पास फिलहाल 122 सीटें हैं. तालमेल की स्थिति में उसे अधिकतम 13 सीटें और मिलेंगी. इस प्रकार भाजपा के सामने अपनी सीटें बढ़ाने के लिए सौ फीसदी प्रदर्शन करना होगा. यह भी हो सकता है, उसकी कुछ सीटें कम हो जाएं. पिछले चुनाव में उसने उम्मीदवारों के भारी अभाव के बावजूद 260 सीटों से चुनाव लड़ा था. दूसरी ओर, पिछली बार शिवसेना के पास भी उम्मीदवार नहीं थे, फिर भी उसने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

हालांकि उसे मात्र 63 सीटें मिली थीं. इस बार यदि वह भाजपा की बात मान लेती है तो उसे इन मौजूदा 63 सीटों के अलावा चुनाव लड़ने के लिए 72 सीटें और मिल जाएंगी. इस प्रकार हम देखते हैं कि 'अब की बार 220 पार' के नारे को साकार करने में शिवसेना का ही फायदा ज्यादा है. शिवसेना के पास अपनी सीटें बढ़ाने का बड़ा अवसर है, जबकि भाजपा के पास काफी छोटा!

यदि नए सिरे से सभी 288 सीटों का बंटवारा होता है, तो भाजपा को बड़ा घाटा उठाना पड़ेगा. उसे मौजूदा सीटें छोड़नी होंगी. ऐसे में उसके भीतर भारी नाराजगी बढ़ेगी. इसलिए वह मौजूदा सीटों को कायम रखने पर जोर दे रही है.

टॅग्स :महाराष्ट्रशिव सेनाभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारतMaharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला

भारतMaharashtra Local Body Polls 2025: राज्य के 242 नगर परिषदों और 46 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान, 3 को होगी मतगणना

भारतमहाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आखिरी समय में नगर निगम चुनाव टालने के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की | VIDEO

भारतMaharashtra: सत्तारूढ़ महायुति में दरार की खबरों के बीच, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का नगर निगम चुनावों से पहले सहयोगियों को 'गठबंधन धर्म' का संदेश

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई