संतोष ठाकुर, नई दिल्ली। भाजपा आलाकमान ने महाराष्ट्र के सभी नेताओं को सलाह दी है कि वह राज्य में भाजपा सरकार गठन को लेकर कोई बयान नहीं दें। भाजपा की इस कवायद के पीछे यह ध्येय है कि उनके बयान से यह संकेत न जाए कि भाजपा राज्य में तोड़फोड़ करके सरकार बनाना चाहती है।
महाराष्ट्र के भाजपा नेता नारायण राणे लगातार यह बयान दे रहे हैं कि भाजपा ही सरकार बनाएगी और उसके पास 145 विधायकों की संख्या होगी। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि राज्य के सभी नेताओं को यह साफ शब्दों में कहा गया है कि वह इस तरह के बयान न दें जिससे जनता के बीच कोई गलत संदेश जाए। इन नेताओं में नारायण राणे भी शामिल हैं। हमारा मत है कि जब भी सरकार गठन को लेकर कोई बयान सामने आए तो वह केंद्रीय नेतृत्व की सलाह पर ही दिया जाए।
बीजेपी नहीं चाहती, जनता के बीच गलत संदेश जाए!
जनता के बीच भाजपा की कोई गलत छवि किसी के बयान के वजह से नहीं बननी चाहिए। पदाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान अगर विपक्षी दलों को लगता है कि वे मिलकर सरकार बना सकते हैं तो वह कभी भी राज्यपाल को आपसी समर्थन के पत्र दिखाकर सरकार बनाने को लेकर अपना दावा पेश कर सकते हैं। उन्हें इसके उपरांत सरकार बनाने का अवसर भी हासिल हो जाएगा। हम फिलहाल किसी भी दल से या किसी भी विधायक से अपनी ओर से संपर्क में नहीं हैं।
हालांकि यह भी एक सच है कि कई विधायक चाहते हैं कि भाजपा सरकार बनाए और वे इसके लिए अपना सहयोग देने को भी तैयार हैं, लेकिन हम चाहेंगे कि विपक्षी दल सरकार बनाने के अपने अवसर का उपयोग निश्चित रूप से करें। क्या भाजपा विपक्षी दलों की ओर से सरकार बनाने में असफल हो जाने पर नए सिरे से कोई पहल कर सकती है या वह एक बार फिर से चुनाव की ओर जाना चाहेगी जिससे जनता से स्पष्ट बहुमत के लिए वोट मांग पाए, इस सवाल के जवाब में इस पदाधिकारी ने कहा कि यह भविष्य की बात है।
हमारे पास विपक्षी दलों के विधायक भी आए हैं। उनका कहना है कि वह राज्य में एक स्थाई सरकार के लिए अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। जिससे राज्य पर चुनाव का बोझ न पड़े, लेकिन हम फिलहाल चाहते हैं कि शिवसेना एक बार अपने नए साथियों राकांपा-कांग्रेस से हाथ मिलाकर अपना प्रयत्न अवश्य करे। हम भी यह देखना चाहते हैं कि अलग विचारधारा-राह के लोग कितने समय तक सत्ता के लालच में साथ रह सकते हैं। यह जनता को भी पता लगना चाहिए।