लाइव न्यूज़ :

लोकमत संपादकीयः हर हाल में रोकनी होगी छात्रों की आत्महत्या

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 6, 2019 04:50 IST

इसके अलावा दसवीं-बारहवीं के छात्रों के भी पढ़ाई के तनाव में या पेपर खराब हो जाने के डर से आत्महत्या करने की खबरें कई बार पढ़ने-सुनने को मिलती हैं.

Open in App
ठळक मुद्दे मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा गठित कार्यबल को पता लगाना होगा कि कहीं कड़े अनुशासन को नहीं ङोल पाने की वजह से तो छात्र आत्महत्या नहीं कर रहे?या फिर पढ़ाई का बोझ इसका कारण है? पिछले कुछ वर्षो में आईआईटी के लिए कोचिंग करने वाले छात्रों द्वारा भी आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ी हैं.

नवोदय विद्यालयों में छात्रों की आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए कार्यबल गठित करने के मानव संसाधन विकास मंत्रलय के निर्णय  के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि छात्रों की आत्महत्या पर रोक लग सकेगी. यह कार्यबल हालात की जांच करने सहित आत्महत्या पर रोक लगाने के लिए सुझाव भी देगा. नवोदय विद्यालयों की देश में काफी प्रतिष्ठा है. खासकर देश के ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को निखारने का श्रेय उसे जाता है.

आईआईटी में दाखिला पाने वालों में सर्वाधिक संख्या नवोदय स्कूलों के छात्रों की ही होती है. निश्चित रूप से इस उपलब्धि में नवोदय स्कूलों के अनुशासन का बड़ा योगदान होता है. सच तो यह है कि बिना अनुशासन के कोई बड़ी उपलब्धि हासिल ही नहीं की जा सकती. मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा गठित कार्यबल को पता लगाना होगा कि कहीं कड़े अनुशासन को नहीं ङोल पाने की वजह से तो छात्र आत्महत्या नहीं कर रहे? या फिर पढ़ाई का बोझ इसका कारण है? पिछले कुछ वर्षो में आईआईटी के लिए कोचिंग करने वाले छात्रों द्वारा भी आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ी हैं.

इसके अलावा दसवीं-बारहवीं के छात्रों के भी पढ़ाई के तनाव में या पेपर खराब हो जाने के डर से आत्महत्या करने की खबरें कई बार पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. छात्रों द्वारा आत्महत्या करना निश्चित रूप से चिंताजनक है. दरअसल हर छात्र की मानसिक क्षमता अलग-अलग होती है और उसके हिसाब से ही उस पर बोझ डाला जाना चाहिए यह देखना अभिभावकों का काम है. जरूरी नहीं है कि साइंस की पढ़ाई में अव्वल आने वाले विद्यार्थी ही मेधावी होते हों. जिस भी क्षेत्र में विद्यार्थी की रुचि हो, उसी में उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. माता-पिता को अपनी इच्छा बच्चे पर नहीं थोपनी चाहिए.

बच्चे कभी नहीं चाहते कि अपने माता-पिता की उम्मीदों को तोड़ें. लेकिन जब उन्हें अपनी रुचियों की विपरीत दिशा में दौड़ लगाने और अव्वल आने के लिए विवश किया जाता है तो वे तनाव ङोल नहीं पाते और कई बार अपनी जान दे बैठते हैं. नवोदय के छात्रों की आत्महत्या का कारण क्या है यह तो कार्यबल की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि उसके अनुसार कदम भी उठाए जाएंगे. लेकिन छात्रों को उनकी रुचियों के अनुरूप ही प्रेरित करने की कोशिश हर स्तर पर की जानी चाहिए, तभी उनका सर्वागीण विकास हो सकता है.

टॅग्स :आत्मघाती हमला
Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Doctor Suicide: सतारा में डॉक्टर की आत्महत्या मामले में राहुल गांधी ने बीजेपी को घेरा, बोले- 'यह एक संस्थागत हत्या'

क्राइम अलर्टGwalior: नववाहिता ने एसिड पीकर दी जान, दहेज में भैंस न लाने पर ससुराल वालों ने किया था प्रताड़ित; पति समेत 5 पर मामला दर्ज

क्राइम अलर्टDelhi: रील बनाने के चक्कर में गई जान, 14 साल के लड़के ने वीडियो बनाने के लिए गले में डाला फंदा; फिर हुआ कुछ ऐसा...

क्राइम अलर्टKarnataka: फेसबुक लाइव आकर शख्स ने की आत्महत्या की कोशिश, पत्नी पर लगाए गंभीर आरोप

क्राइम अलर्टAmethi News: 5 महीने पहले हुई थी शादी, अब कमरे में फंदे से लटकी मिली नवविवाहिता; जानें क्या है वजह

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई