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पीएम मोदी ने कहा, मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्रा थी, देश की मातृत्व शक्ति मेरा रक्षा कवच है

By सतीश कुमार सिंह | Updated: May 25, 2019 19:13 IST

नरेंद्र मोदी ने राजग बैठक में कहा कि अब हम नयी ऊर्जा के साथ, नया भारत बनाने के लिए, एक नयी यात्रा शुरू करेंगे। सत्ता में रहते हुए लोगों की सेवा करने से बेहतर अन्य कोई मार्ग नहीं है। चुनाव बांटते हैं और दूरियां पैदा करते हैं, लेकिन 2019 चुनाव ने लोगों और समाज को जोड़ने का काम किया।

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ठळक मुद्देभारत का मतदाता, भारत के नागरिक के नीर, क्षीर, विवेक को किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है। हम कह सकते हैं सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है।

एनडीए संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में संविधान कि किताब के सामने सिर झुकाया। पीएम मोदी ने कहा कि वह इस नई यात्रा के लिए संकल्पबद्ध हैं। पीएम मोदी ने कहा कि 2019 का चुनाव मेरे लिए तीर्थयात्रा, देश की मातृत्व शक्ति मेरा रक्षा कवच है।

नरेंद्र मोदी ने राजग बैठक में कहा कि अब हम नयी ऊर्जा के साथ, नया भारत बनाने के लिए, एक नयी यात्रा शुरू करेंगे। सत्ता में रहते हुए लोगों की सेवा करने से बेहतर अन्य कोई मार्ग नहीं है। चुनाव बांटते हैं और दूरियां पैदा करते हैं, लेकिन 2019 चुनाव ने लोगों और समाज को जोड़ने का काम किया।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार इतनी वोटिंग हुई है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव मेरे लिए तीर्थयात्रा है। ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है। उन्होंने कहा कि विश्वास की डोर जब मजबूत होती है, तो प्रो-इंकंबेंसी वेव पैदा होती है, यह वेव विश्वास की डोर से बंधी हुई है।

ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है। फिर से सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेदारी देनी है। इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक जीवन में, चुनावी परंपरा में देश की जनता ने एक नए युग का आरंभ किया है। हम सब उसके साक्षी हैं। 

2014 से 2019 तक देश हमारे साथ चला है, कभी-कभी हमसे दो कदम आगे चला है, इस दौरान देश ने हमारे साथ भागीदारी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आम तौर पर चुनाव बांट देता है, दूरियां पैदा करता है, दीवार बना देता है, खाई पैदा कर देता है। लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। 

दिलों को जोड़ने का काम किया है। भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का मतदाता, भारत के नागरिक के नीर, क्षीर, विवेक को किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है। हम कह सकते हैं सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ताभाव भारत का मतदाता कभी स्वीकार नहीं करता है।

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