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कर्नाटकः कांग्रेस-जेडी(एस) के सभी बागी विधायक अयोग्य करार, विश्वास प्रस्ताव से पहले स्पीकर का बड़ा फैसला

By आदित्य द्विवेदी | Updated: July 28, 2019 12:23 IST

कर्नाटक के सियासी नाटक ने एक और मोड़ लिया है। स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस और जेडी(एस) के सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हुए सदस्यता रद्द करने की घोषणा की है

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ठळक मुद्दे स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस और जेडी(एस) के सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हुए सदस्यता रद्द करने की घोषणा की है।स्पीकर ने कहा कि अयोग्य विधायक 15वीं विधानसभा की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकते।

कर्नाटक के सियासी नाटक ने एक और मोड़ लिया है। स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस और जेडी(एस) के सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हुए सदस्यता रद्द करने की घोषणा की है। आज 14 विधायकों को अयोग्य करार देने से पहले रमेश कुमार ने तीन विधायकों को अयोग्य करार दिया था। इस तरह अब तक अयोग्य करार दिए गए कुल विधायकों की संख्या 17 हो गई है। अब कर्नाटक विधानसभा में कुल 207 विधायक बचे हैं और बहुमत के लिए 105 विधायकों की जरूरत है। स्पीकर ने कहा कि अयोग्य विधायक 15वीं विधानसभा की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकते।

इन विधायकों को अयोग्य करार दिया गया

स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस के बैराठी बसवराज, मुनिरत्न, एसटी सोमशेखर, रोशन बेग, आनंद सिंह, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल, डॉ. सुधाकर, शिवराम हेब्बार, श्रीमंत पाटिल को अयोग्य करार दिया. इसके अलावा जेडीएस के तीन बागी विधायकों के. गोपालैया, नारायण गौड़ा, ए एच विश्वनाथ को अयोग्य करार दिया है।

सोमवार को येदियुरप्पा सरकार का विश्वास प्रस्ताव

कर्नाटक में अचानक हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता बी. एस. येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पक्ष में आंकड़े जुटाने की है। शपथ ग्रहण करने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि हम 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखेंगे। येदियुरप्पा ने कहा कि उन्हें विश्वास मत जीतने का भरोसा है। 

कांग्रेस -जद (एस) गठबंधन सरकार के तीन दिन पहले विश्वास मत हारने के बाद येदियुरप्पा ने शुक्रवार को अकेले शपथ ली। राज्यपाल वजुभाई वाला ने शाम में राजभवन में हुए एक समारोह में 76 वर्षीय येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। 

मई 2018 में राज्य में येदियुरप्पा की सरकार महज तीन दिन टिक पाई थी जब चुनावों में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया था। लेकिन कांग्रेस- जद (एस) के बीच गठबंधन होने के कारण वहां कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनी और येदियुरप्पा को तीन दिनों के अंदर ही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा और एएनआई से इनपुट्स लेकर

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