Jayaprakash Narayan Birth Anniversary: भारतीय राजनीतिक इतिहास में जयप्रकाश नारायण का स्थान बहुत खास है। उन्होंने देश के तीन लोकप्रिय आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने का अद्वितीय गौरव प्राप्त है।
उन्होंने न केवल अपनी पूरी ताकत से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, खासकर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर, बल्कि सत्तर के दशक में भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व भी किया, जबकि उससे पहले लगभग एक दशक तक भूदान आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताब दियारा गांव में हुआ था। 1920 में 18 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पटना में काम करना शुरू कर दिया।
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने देश में स्वतंत्रता और क्रांति के मुद्दों पर चर्चा की और जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर उन्होंने 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग ले लिया।
इसके बाद उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई विरोध किए आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिसके चलते वह कई बार जेल भी गए।
1947 में देश के आजाद होने के बाद उनके जीवन का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव शुरू हुआ जिसने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। गरीबों के हित के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा चरम पर रही।
गांधी मैदान से गूंजा सपूर्ण क्रांति का नारा
1974 में जेपी नारायण ने पटना के गांधी मैदान में एक सार्वजनिक बैठक से शांतिपूर्ण "संपूर्ण क्रांति" का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों को भ्रष्ट राजनीतिक संस्थानों के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को एक साल के लिए बंद करने के लिए कहा, इस दौरान वह चाहते थे कि छात्र राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए अपना समय समर्पित करें। इतिहास में यही वह समय था जब उन्हें लोकप्रिय रूप से "जेपी" कहा जाने लगा।
यह आंदोलन अंततः आपातकाल की घोषणा में परिणत हुआ और बाद में "जनता पार्टी" की जीत हुई जिसने मार्च 1977 में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई। उन्हें सभी गैर-कांग्रेसी दलों को एक साथ लाने का श्रेय प्राप्त था जनता पार्टी की छत्रछाया जेपी को हमारे देश का हर स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति याद रखेगा। इस आधुनिक क्रांतिकारी को श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत 1999 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया।
इंदिरा गांधी की सरकार को गिराकर बनाई सरकार
ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद देश में कांग्रेस का राज रहा लेकिन जेपी नारायण का आंदोलन कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा चैलेंज साबित हुआ। साल 1975 में जब कोर्ट में चुनाव के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो विपक्ष में जेपी नारायण ने पूरे विपक्ष को एकजुट किया और उनके इस्तीफे की मांग की।
इस कदम से इंदिरा गांधी देश में आपातकाल लगा दिया और हजारों विपक्षी नेताओं सहित जेपी नारायण को गिरफ्तार कर जेल में डलवा दिया था। हालांकि, ये आपातकाल इंदिरा गांधी पर भारी पड़ा और इसके हटने के बाद उनकी सरकार गिर गई।