जम्मू व कश्मीर विधानसभा के चालू बजट सत्र में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि धारा 370 की निंदा करने और राज्य दर्जा वापसी के लिए सदन में नया प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है. ऐसी मांग के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि गत वर्ष विधानसभा गठन के बाद पहली बैठक के पहले ही दिन यह प्रस्ताव पास किया गया और केंद्र ने इसे ठुकराया नहीं है. उमर अब्दुल्ला को यह भी सफाई देनी पड़ी कि भाजपा के साथ कोई गठजोड़ नहीं है, क्योंकि हमारी विचारधारा अलग है. जम्मू व कश्मीर के मुख्यमंत्री ने 3 मार्च को विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में अपने वक्तव्य की शुरुआत इसी बात से की. अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा से हमारे कोई विचार मेल नहीं खाते और खासकर कश्मीर मसले पर तो हमारा अप्रोच भाजपा से बिल्कुल अलग है.
मुख्यमंत्री ने जोर देकर साफ शब्दों में सदन को बताया कि जम्मू व कश्मीर के लोगों की सबसे महत्वपूर्ण सिर्फ यही आकांक्षा है कि पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द-से-जल्द वापस मिले. इसी मुद्दे पर मिले जनादेश के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं. उपराज्यपाल मनोज कुमार सिन्हा ने भी सदन में अपने संबोधन में उमर अब्दुल्ला सरकार की राज्य दर्जा वापसी के लिए प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता पर मुहर लगाई.
उन्होंने राज्य दर्जा वापसी पर मुख्यमंत्री के वक्तव्य को दुहराया. उमर अब्दुल्ला ने 3 मार्च के बाद भी सदन में बार-बार सदस्यों के सवालों के जवाब में कहा कि अमन और विकास के लिए मतदाताओं के अरमान पर खरा उतरना जरूरी है, जो जम्मू व कश्मीर का राज्य दर्जा वापसी से ही संभव है.
अक्तूबर, 2024 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से उमर अब्दुल्ला कई बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर राज्य दर्जा वापसी का अनुरोध कर चुके हैं. उन्होंने केंद्र से टकराव का रास्ता टालने के लिए कभी धारा 370 वापसी की बात नहीं की. इससे जम्मू व कश्मीर के अंदर और बाहर क्षेत्रीय दलों तथा इंडिया गठजोड़ घटकों के बीच ऐसे आरोपों की चर्चा है कि उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल काॅन्फ्रेंस की इंडिया गठजोड़ का हिस्सा होने के बावजूद केंद्र से नजदीकी है. इसमें भाजपा से नेशनल काॅन्फ्रेंस के गठजोड़ की भी अटकलबाजी जुड़ गई.
उसी सिलसिले में उमर अब्दुल्ला ने सदन के अंदर कहा कि केंद्र से बेहतर रिश्ते का यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि उनका भाजपा से राजनीतिक गठजोड़ है. लगभग छह महीने के नेशनल काॅन्फ्रेंस शासनकाल के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू व कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित जितनी बैठकों में उमर अब्दुल्ला शामिल हुए, उन्होंने राज्य दर्जा वापसी का मामला हर बार उठाया.