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'चंद्रयान-3 मिशन' की तैयारी, इसरो ने इस महीने लॉन्च करने की बनाई है योजना

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 21, 2023 3:39 PM

चंद्रयान -3, चंद्रयान -2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल हैं. इसे SDSC, श्रीहरिकोटा से GSLV MkIII द्वारा लॉन्च किया जाएगा।

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ठळक मुद्देअंतरिक्ष में एक और उड़ान भरने को तैयार है इसरोजुलाई के दूसरे हफ्ते में चंद्रयान -3 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी इसे SDSC, श्रीहरिकोटा से GSLV MkIII द्वारा लॉन्च किया जाएगा

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष में एक और उड़ान भरने को तैयार है। इसरोभारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी के अंतिम चरण में है। यूआर राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी), बेंगलूरु, जिसे पहले इसरो उपग्रहकेंद्र (आईज़ेक) के नाम से जाना जाता था, उपग्रहों के निर्माण और संबद्ध उपग्रह प्रौद्योगिकियों के विकासका प्रमुख केंद्र है।

चंद्रयान-3 मिशन लैंडिंग साइट के आसपास के क्षेत्र में चंद्र रेजोलिथ, चंद्र भूकंपीयता, चंद्र सतह प्लाज्मा पर्यावरण और मौलिक संरचना के थर्मो-भौतिक गुणों का अध्ययन करेगा। इसके लिए यान के साथ विशेष वैज्ञानिक उपकरण भेजे जाएंगे। 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अंतरिक्ष यान जुलाई में लॉन्च होने वाला है। महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में हो सकती है। हालांकि अंतिम तिथि अभी तय की जानी बाकी है। 

इस साल मार्च में, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान ने सभी आवश्यक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया था। वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिंता अंतरिक्ष यान के लॉन्च के दौरान उत्पन्न वाले कठोर कंपन को लेकर थी। हालांकि परीक्षण के दौरान यान सभी उम्मीदों पर खरा उतरा।

भारत का तीसरा चंद्र मिशन श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के सबसे भारी लॉन्च वाहन जीएसएलवी एमके III से प्रक्षेपित किया जाएगा। अंतरिक्ष यान तीन प्रणालियों का एक संयोजन है; प्रणोदन, लैंडर और रोवर।

इसका मकसद चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोवर द्वारा नमूने जुटाने की क्षमता प्रदर्शित करना है। इसरो के अधिकारियों के अनुसार, जहां लैंडर और रोवर पर इन वैज्ञानिक उपकरणों का दायरा ‘चंद्रमा का विज्ञान’ की 'थीम' के अनुरूप होगा, वहीं एक अन्य प्रायोगिक उपकरण चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ‘स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक सिग्नेचर’ का अध्ययन करेगा, जो ‘चंद्रमा से विज्ञान’ थीम के अनुसार होगा।

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