दिल्ली: देश की प्रमुख बैंकिंग सेवा प्रदाता इंडियन बैंक ने एक सर्कुलर जारी करते हुए उन महिलाओं को सेवा से अयोग्य माना है, जो तीन महीने से अधिक गर्भवती हों, बैंक के सर्कुलर के मुताबिक ऐसी महिलाओं को नौकरी शुरू करने से पहले बैंक के पास फिटनेस सर्टिफिकेट जमा कराना होगा।
इस मामले में दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने सख्ती दिखाते हुए इस बैंक की लैंगिक भेदभाव पॉलिसी बताया और इस संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए बैंक की शिकायत की है।
दिल्ली महिला आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि इंडियन बैंक की ओर से जारी किया गया कथित सर्कुलर महिलाओं के प्रति "भेदभावपूर्ण और अवैध" है क्योंकि यह 'सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020' के तहत प्रदान किए गए मातृत्व लाभ के विपरीत है।
इसके साथ ही दिल्ली महिला आयोग ने इंडियन बैंक को नोटिस जारी करके जारी किये गये नए भर्ती दिशानिर्देशों को वापस लेने की मांग की है, जो तीन या अधिक महीने की गर्भवती महिला को बैंकिग सेवा में शामिल होने से रोकता है।
उन्होंने कहा, "इस तरह की सेवा शर्तों के द्वारा बैंक लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है, जो सीधे तौर पर भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।"
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि आयोग ने इंडियन बैंक द्वारा महिला कर्मचारियों की भर्ती के लिए जारी दिशा-निर्देशों पर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है।
इस मामले में छपी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडियन बैंक ने नई भर्ती के लिए जारी सर्कुलर में कहा था कि बैंक उन गर्भवती महिलाओं को सेवा से अयोग्य मानता है, जो जो नियत प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाने के बावजूद तीन महीने से अधिक की गर्भवती हैं, उन्हें सेवा में सम्मिलित होने से पहले बैंक के पास फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा।
स्वाति मालीवाल ने कहा, "बैंक ने जो भेदभाव पूर्ण नियम बनाए हैं, उसमें कहा गया है कि यदि कोई महिला उम्मीदवार तीन महीने की गर्भवती है, तो उसे 'अस्थायी रूप से अयोग्य' माना जाएगा और चयनीत होने पर भी वो तत्काल कार्यभार ग्रहण नहीं कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो सेवाकाल में वो अपनी वरिष्ठता खो सकती हैं।”
डीसीडब्ल्यू ने इंडियन बैंक को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उनके द्वारा जारी किए गया नया भर्ती सर्कुलर महिला विरोधी है, इसलिए ऐसे दिशा-निर्देशों को वो फौरन वापस ले और साथ में आयोग को यह भी बताए कि उसने किस आधार पर इस तरह की महिला विरोधी नीतियों का निर्माण किया है।"
दिल्ली महिला आयोग ने इंडियन बैंत को नोटिस पर जवाब देने के लिए 23 जून तक की मोहलत दी है। इसके साथ ही स्वाति मालीवाल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा है।
आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में कहा है कि एसबीआई और इंडियन बैंक जैसे बैंकों ने महिला विरोधी दिशानिर्देश जारी किए हैं और ऐसा करना एक गंभीर किस्म का अपराध है क्योंकि ये महिलाओं को मिले उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करने का भ्रामक प्रयास है।
इसके साथ ही मालीवाल ने आरबीआई गवर्नर से इस मामले में गुजारिश की है कि वो देश के सभी बैंकों को दिशा-निर्देश जारी करें कि वो महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाले अवैध और असंवैधानिक नियमों को बनाने से बाज आयें।
मालूम हो कि इंडियन बैंक द्वारा हाल ही में पूर्व-रोजगार के लिए शारीरिक फिटनेस के लिए जारी दिशा-निर्देशों और मानदंडों के अनुसार, चयनित पद की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की डिलीवरी के छह सप्ताह बाद फिर से परीक्षा होगी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)