नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को लंबे समय से प्रतीक्षित पहले लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट 'तेजस' एमके 1ए लड़ाकू विमान की डिलीवरी अकटूबर में मिलेगी। एलसीए का उन्नत संस्करण तेजस एमके 1ए अपनी आधुनिक तकनीक और बेहतर प्रदर्शन के साथ आईएएफ की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार है। तेजस में एकीकृत इज़रायली सॉफ्टवेयर में आवश्यक संशोधनों को अंतिम रूप दे दिया गया है। विमान अंतिम परीक्षणों से गुजर रहा है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पहले विमान को शुरू में श्रेणी बी इंजन के साथ वायुसेना को सौंपा जाएगा। ये इंजन या तो पहले इस्तेमाल किए गए हैं या तेजस श्रृंखला के लिए जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के साथ पहले के समझौतों से बनाए गए हैं। नए जनरल इलेक्ट्रिक F404-IN20 इंजन, जो विमान के इष्टतम प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं, नवंबर से आने की उम्मीद है।
तेजस का निर्माण करने वाली सरकारी एयरोस्पेस निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने फरवरी 2021 में हस्ताक्षरित अनुबंध के बाद, शुरुआत में मार्च में डिलीवरी शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन तेजस Mk 1A की पहली उड़ान इस साल मार्च में ही हुई, जिससे विमान को IAF को सौंपे जाने से पहले अतिरिक्त परीक्षणों की आवश्यकता हुई। इसके कारण IAF द्वारा अनुरोध किए गए सॉफ़्टवेयर परिवर्तनों के कारण डिलीवरी को कम से कम चार महीने के लिए स्थगित कर दिया गया।
तेजस को दिसंबर 2013 में प्रारंभिक परिचालन मंजूरी मिली और भारतीय वायुसेना ने 2019 में अपना पहला विमान मिला था। शुरू में ऑर्डर किए गए 40 तेजस विमानों में से चार अभी भी डिलीवरी के लिए लंबित हैं।
भारतीय वायु सेना के लिए 83 तेजस Mk-1A जेट की आपूर्ति के लिए 2021 में 48,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। तेजस एमके-1ए पुराने तेजस एमके-1 का उन्नत संस्करण है। इसमें नया रडार, नया डिजिटल कंप्यूटर, बेहतर एवियोनिक्स और अधिक सक्षम हथियार लगाए गए हैं।
एचएएल फिलहाल अपने बेंगलुरु प्लांट से सालाना 16 फाइटर जेट्स का निर्माण कर सकता था। अब अतिरिक्त ऑर्डर पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना होगा। ज्यादा विमान बनाए जा सकें इसलिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने नासिक में एक और प्रोडक्शन लाइन शुरू की है। यहां सालाना आठ अतिरिक्त जेट का निर्माण किया जा सकता है। इस तरह कुल उत्पादन क्षमता 24 जेट हो जाएगी।