प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश के नाम संबोधन में 'मिशन शक्ति' की सफलता की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष में किसी सेटेलाइट को मार गिराने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। पीएम मोदी की घोषणा के बाद कांग्रेस ने दावा किया है कि मिशन शक्ति की शुरुआत 2012 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी। हालांकि बीजेपी नेता अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस के दावों का खंडन किया है।
यूपीए सरकार में मिली क्षमता
इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टुडे ने अप्रैल 2012 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें तत्कालीन साइंटिफिक एडवाइजर वीके सारस्वत के हवाले से लिखा गया है कि भारत ने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही लो ऑर्बिट सैटेलाइट गिराने की क्षमता हासिल कर ली थी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन मनमोहन सरकार ने परीक्षण की अनुमति नहीं दी। गौरतलब है चीन ने 2007 में ही अंतरिक्ष में इस तरह की उपलब्धि हासिल कर ली थी। जिसके बाद भारत पर इस तरह के परीक्षण का दबाव बना हुआ था।
अग्नि-5 के सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ के तत्कालीन निदेशक वीके सारस्वत ने माना था कि भारत के पास सैटेलाइट गिराने की क्षमता है। उन्होंने कहा था, 'एंटी सैटेलाइट सिस्टम को अच्छे बूस्ट की जरूरत होती है। अगर आपके पास अंतरिक्ष में जाने की क्षमता और निर्देशन प्रणाली है तो आप अंतरिक्ष युद्ध में महारथ हासिल कर सकते हैं। अगर सरकार अनुमति दे तो एंटी सैटेलाइट क्षमता दिखा सकते हैं।'
कांग्रेस में क्रेडिट लेने की होड़
राहुल गांधी ने मिशन शक्ति के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ''मिशन शक्ति की सफलता के लिए डीआरडीओ को बधाई। इसकी बुनियाद यूपीए सरकार के दौरान 2012 में पड़ी थी।' इसके अलावा कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि यूपीए सरकार ने ए सैट कार्यक्रम की शुरुआत की थी जो आज फलफूल रहा है। मैं हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व को बधाई देता हूं।
पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
पीएम ने बताया कि इस मिशन के तहत सभी लक्ष्यों को हासिल किया गया और भारत में ही निर्मित सेटेलाइट का इस्तेमाल किया गया।पीएम ने कहा, 'आज हमारे पास पर्याप्त सेटेलाइट हैं जो विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, आपदा प्रबंधन, संचार, मौसम की जानकारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।'
पीएम ने कहा, 'ए-सैट मिसाइल भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को नई शक्ति देगा। मैं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बताना चाहता हूं कि इसका इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं किया जाएगा। यह पूरी तरह से भारत की अपनी रक्षा की कोशिश है। हम अंतरिक्ष में हथियारों की रेस के खिलाफ हैं।'