नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की पहली भारतीय डिप्टी मैनेजर गीता गोपीनाथ ने शनिवार को दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कार्यक्रम में कहा कि भारत को अपने कुशल कामगारों पर निवेश करना चाहिेए, जिससे आधारभूत ढांचा मजबूत हो सके। इसके साथ उन्हें भूमि, टैक्स रिफॉर्म और श्रम में लाभ मिल जाएगा, साथ में उनके सपनों को पंख लग सकेंगे और आने वाले साल 2047 में भारत एक विसकित देश बनने की ओर अग्रसर होगा।
उन्होंने आगे कहा कि ये भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण और आकांक्षी बात हो सकती है। भारत को जरूरत है कि जो कुशल कामगार है उनका उस जगह इस्तेमाल किया जाए, लेकिन हो क्या रहा है कि इस बीच असंतुलन देखने को मिल रहा है। इसलिए जिसको जहां कार्य करना चाहिए, वो उस क्षेत्र में ना काम करके दूसरी जगह काम कर रहा है।
उन्होंने बताया कि भारत ने अपनी समग्र विकास दर के मामले में अच्छा विकास किया है और 7 प्रतिशत के साथ यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। सवाल यह है कि इस गति को कैसे बनाए रखा जाए और इसे और बढ़ाया जाए ताकि आप एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ा सकें।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हीरक जयंती समारोह में बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने पर 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और जी20 विशेषज्ञ समूह के सह संयोजक एनके सिंह के साथ एक तीखी बातचीत में बोलते हुए, गोपीनाथ ने कहा कि यह भारत के लिए अपना विस्तार करने में मददगार होगा। कर आधार और सुनिश्चित करें कि अधिक लीकेज न हों।
भारत को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लॉन्ग-टर्म टैक्स से पर्याप्त मात्रा में लाभ मिले, दूसरी तरफ सरकार प्रॉपर्टी पर टैक्स लगा सकती है। आईएमएफ की गीता गोपीनाथ ने कहा, व्यक्तिगत आयकर और वस्तु एवं सेवा कर की संरचना को सरल बनाते हुए उसके आधार का विस्तार आवश्यक है।
वैश्विक सप्लाई चेन में बड़ा प्लेयर ऐसे बनेगा भारतगीता गोपीनाथ ने ये भी कहा कि भारत को आयात में लगने वाले टैरिफ पर भी छूट देना चाहिए, अगर भारत वैश्विक तौर पर स्पलाई चैन में बड़ा प्लेयर बनना चाहता है। टैरिफ रेट भारत में दूसरे आर्थिक बाजार के मुकाबले बहुत ज्यादा है।