नई दिल्ली: साल 2017 में अपनी गलत शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देकर आईआईएम, रोहतक के निदेशक के रूप में अवैध नियुक्ति हासिल करने वाले धीरज शर्मा को आखिरकार केंद्र सरकार कारण बताओ नोटिस जारी करने जा रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि नोटिस शर्मा से यह बताने के लिए कहेगा कि शिक्षा मंत्रालय को उनके पद का दुरुपयोग करने, उनकी ग्रेजुएशन डिग्री को छिपाने और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए।
नोटिस इसी हफ्ते जारी किया जा सकता है। नोटिस में कहा गया है कि शर्मा ने अनैतिक कार्य किया और आईआईएम निदेशक के रूप में वित्तीय लाभ हासिल किया जो जनहित के खिलाफ है। शर्मा के पास जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय होगा।
बता दें कि, शुरुआत में सरकार शर्मा की नियुक्ति में किसी तरह की अनियमितता के होने से इनकार किया था। लेकिन दो सप्ताह पहले उसने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में स्वीकार किया कि ग्रेजुएशन में सेकेंड डिविजन हासिल करने के बाद भी शर्मा को साल 2017 में आईआईएम रोहतक का प्रमुख नियुक्त किया गया। इस पद के लिए ग्रेजुएशन में फर्स्ट क्लास पास होना अनिवार्य योग्यता है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने यह कुबूलनामा शर्मा के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद ही किया और वास्तव में उन्हें दूसरा कार्यकाल भी मिल गया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले सितंबर, 2021 में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल तीन पत्र लिखकर मांगे जाने के बावजूद शर्मा ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं मुहैया कराई थी।
शर्मा की नियुक्ति को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि निदेशक ने अन्य बातों के अलावा अपनी शैक्षणिक योग्यता को गलत तरीके से पेश किया और वह पद पर बने रहने के अयोग्य हैं।
इस बीच, शिक्षा मंत्रालय लगातार शर्मा की नियुक्ति का बचाव करता रहा।