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मैं भले शारीरिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में मौजूद न रहूं, लेकिन मेरा एक हिस्सा हमेशा रहेगा: सीजेआई गोगोई

By भाषा | Updated: November 15, 2019 18:43 IST

देश के 46 वें एवं पूर्वोत्तर के किसी राज्य से भारत के प्रथम सीजेआई न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिये यह जरूरी नहीं है कि न्यायाधीश प्रेस के जरिये हमारे नागरिक वर्ग तक पहुंचे।

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ठळक मुद्देन्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘इस तरह की पहुंच (प्रेस तक) एक असाधारण स्थिति के लिये प्रतीकात्मक होनी चाहिए।मैं चाहता हूं कि आप इस बात की सराहना करें कि सामान्य स्वतंत्रताएं हमारे संस्थागत कामकाज में बखूबी संतुलित हैं।

भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने पत्रकारों को अलग-अलग साक्षात्कार देने में शुक्रवार को अपनी असमर्थता जाहिर की।

हालांकि, उन्होंने न्यायपालिका के ‘कठिन समय’ में ‘अफवाह और झूठ’ को रोकने में प्रेस की ‘परिपक्वता’ और ‘व्यवहार’ को लेकर उसकी सराहना की। देश के 46 वें एवं पूर्वोत्तर के किसी राज्य से भारत के प्रथम सीजेआई न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिये यह जरूरी नहीं है कि न्यायाधीश प्रेस के जरिये हमारे नागरिक वर्ग तक पहुंचे।

रविवार 17 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘इस तरह की पहुंच (प्रेस तक) एक असाधारण स्थिति के लिये प्रतीकात्मक होनी चाहिए, जहां नियम में एक अपवाद की मांग हो।’’ न्यायमूर्ति गोगोई और शीर्ष न्यायालय के तीन अन्य न्यायाधीशों -- न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ-- ने 12 जनवरी 2018 को एक अभूतपूर्व संवाददाता सम्मेलन कर आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय में प्रशासन और मामलों का आवंटन सही तरीके से नहीं हो रहा।

उस वक्त न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा सीजेआई थे। सीजेआई ने पत्रकारों को लिखे तीन पृष्ठों के एक साझा पत्र में साक्षात्कार के अनुरोधों को मना कर दिया और कहा, ‘‘मैं अलग-अलग मिलने के आपके अनुरोध को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हूं।’’

पत्र में कहा गया है, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप इस बात की सराहना करें कि सामान्य स्वतंत्रताएं हमारे संस्थागत कामकाज में बखूबी संतुलित हैं-जब आपके पास बार हैं जिनके सदस्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल ऐसी स्वंत्रताओं की सीमाओं से आगे भी कर सकते हैं, वहीं पीठ को इस बात की जरूरत है कि अपनी स्वतंत्रताओं का इस्तेमाल करने के दौरान इसके न्यायाधीश खामोश बने रहें।

उन्होंने कहा,‘‘यह नहीं कहा जा रहा कि न्यायाधीश नहीं बोले। वे बोल सकते हैं लेकिन सिर्फ कामकाजी आवश्यकता के लिये...। कड़वी सच्चाई अवश्य ही स्मृति में रहनी चाहिए।’’ सीजेआई ने शीर्ष न्यायिक संस्था के ‘मुश्किल वक्त’ के दौरान खबरों के लिये मीडिया की भूमिका की सराहना की। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘हमारे संस्थागत स्वास्थ्य का परिचय देने वाले मापदंडों में अच्छा प्रेस भी शामिल है। इस बारे में मैं यह कहना चाहूंगा कि बहुत हद तक प्रेस कोर मेरे कार्यालय और हमारी संस्था के प्रति मेरे कार्यकाल के दौरान उदार रहा।’’

पत्र में कहा गया है कि यहां तक कि न्यायपालिका के मुश्किल वक्त में भी प्रेस के ज्यादातर लोगों ने परिपक्वता दिखाई और अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने अफवाह और झूठ को रोकने के लिये असाधारण विवेक का इस्तेमाल किया। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि एक सार्वजनिक प्राधिकार होने के नाते, जिसे संवैधानिक कर्तव्यों का निवर्हन करने की जिम्मेदारी दी गई है, प्रेस का समर्थन पाने का विचार संस्था के हित में उनके समक्ष कभी विकल्प के रूप में नहीं आया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक ऐसी संस्था से जुड़े रहने का रास्ता चुना, जिसकी मजबूती लोगों के भरोसे में निहित है और विश्वास अच्छे प्रेस के जरिये नहीं बल्कि पीठ के न्यायाधीशों के तौर पर हमारे काम से हासिल किया जाता हो।’’ हालांकि, सीजेआई गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन शुक्रवार उनका अंतिम कार्य दिवस था।

वह उच्चतम न्यायालय के कक्ष संख्या एक में पीठ में अंतिम बार शुक्रवार को शामिल हुए। शीर्ष न्यायालय का कक्ष संख्या एक प्रधान न्यायाधीश का कक्ष होता है। न्यायमूर्ति गोगोई महज चार मिनट के लिए इस पीठ में बैठे। पीठ में उनके अतिरिक्त न्यायमूर्ति एसए बोबडे भी थे, जो देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने वाले हैं। 

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