देश में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त पड़ गया है। लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र में काम करने वाले बाहरी राज्यों के मजदूर बेहाल हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज रविवार को कहा कि मजदूरों को वापस भेजने के लिए सरकार रास्ते तलाश रही है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रेनों की आवाजाही किसी भी सूरत में नहीं शुरू की जाएगी। लेकिन मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मद में महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से भी बात की है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ तो भीड़ बढ़ेगी और अगर भीड़ हुई तो संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा, साथ ही साथ लॉकडाउन को और भी बढ़ाना पड़ेगा। सीएम ने कहा कि कोटा में फंसे राज्य के छात्रों को भी सरकार वापस लाने के लिए बात कर रही है। उन्होंने कहा कि इस आपदा की आशंका किसी को नहीं थी। सीएम ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे कोरोना से जंग में सहयोग करें। अभी गलियों में आकर नमाज पढ़ने का वक्त नहीं है। रमजान के दौरान लोग घर में ही रहकर नमाज अदा करें।
सीएम ने कहा कि भगवान कहां है? इस वक्त हमारे भगवान डॉक्टर, पुलिस, नर्स और सफाई कर्मचारी ही हैं, उनका आदर करना ही असल पूजा है। राज्य में कोरोना की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते तेजी से फैल रहे संक्रमण को रोकने में सफलता मिली है। उद्धव ने कहा कि राज्य में कोरोना से संक्रमित 80 मरीजों में संक्रमण के लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। केवल 20 फीसद संक्रमित मरीजों में ही लक्षण दिखे। संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बीमारी को छुपा रहे हैं, ऐसे लोगों से मेरी अपील है कि वे लक्षण दिखने पर कोरोना की जांच कराएं और इलाज कराएं।
बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के चपेत में आकर 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी संक्रमित हुए हैं। इनमें से 7 पुलिस अधिकारी कोरोना का इलाज करवाकर ठीक हो चुके हैं। वहीं दो संक्रमित पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जान गंवाने पुलिसर्मियों के परिवार को मुआवजा दिया जाएगा, साथ ही सरकार उनकी हर जरूरत पूरी करेगी।