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HRD मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा- JNU में फीस बढ़ोतरी संबंधी मसला सुलझा, छात्र आंदोलन जारी रखना उचित नहीं

By भाषा | Updated: January 13, 2020 23:41 IST

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘छात्रों की मुख्य मांग सेवा और सुविधा शुल्कों में वृद्धि तथा अन्य संबंधित मुद्दों का अब निपटारा किया जा चुका है। इसलिए छात्रों द्वारा प्रदर्शन जारी रखना उचित नहीं है।’’

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ठळक मुद्दे जेएनयू छात्रों का विरोध जारी रखना उचित नहीं हैजेएनयू के छात्रों और अध्यापकों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की चर्चा के बाद जेएनयू के शुल्क संबंधी मुद्दों का समाधान हो चुका है ।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को कहा कि जेएनयू छात्रों का विरोध जारी रखना उचित नहीं है क्योंकि शुल्क वृद्धि का मुद्दा सुलझाया जा चुका है । उन्होंने कहा, ‘‘जेएनयू के छात्रों और अध्यापकों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की चर्चा के बाद जेएनयू के शुल्क संबंधी मुद्दों का समाधान हो चुका है । ’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘छात्रों की मुख्य मांग सेवा और सुविधा शुल्कों में वृद्धि तथा अन्य संबंधित मुद्दों का अब निपटारा किया जा चुका है। इसलिए छात्रों द्वारा प्रदर्शन जारी रखना उचित नहीं है।’’

इससे पहले रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि जेएनयू छात्रों के पांच जनवरी की हिंसा मामले में संलिप्तता को लेकर वह ‘‘व्यथित’’ हैं जैसा कि दिल्ली पुलिस ने इंगित किया है। निशंक ने कहा कि मंत्रालय, परिसर में किसी भी तरह की हिंसा और अराजकता बर्दाश्त नहीं करेगा क्योंकि वह शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। निशंक ने कई ट्वीट करके कहा, ‘‘जेएनयू छात्रों की हिंसा में संलिप्तता को लेकर व्यथित हूं, जैसा दिल्ली पुलिस की प्रारंभिक जांच में इंगित किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिन छात्रों को पंजीकरण करने से रोका गया, उन्हें और अन्य से अपील की जाती है कि वे पंजीकरण करें और शैक्षणिक गतिविधियों के सुचारू संचालन में शामिल हों।’’ केंद्रीय मंत्री ने साथ ही छात्रों से विश्वविद्यालय में ‘‘गरिमापूर्ण’’ माहौल बनाए रखने की भी अपील की। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि हिंसा में नौ संदिग्ध शामिल थे और दावा किया कि जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष उनमें से एक हैं। पुलिस ने कहा कि नौ में से सात वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े हैं जबकि दो दक्षिणपंथी छात्र संगठन से जुड़े हैं। हिंसा मामले की जांच कर रहे डीसीपी (अपराध शाखा) जॉय टिर्की ने कहा कि अधिकांश छात्र शीतकालीन सेमेस्टर के लिए एक से पांच जनवरी तक पंजीकरण कराना चाहते थे लेकिन वामपंथी छात्र संगठन उन्हें ऐसा नहीं करने दे रहे थे। 

टॅग्स :जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)नागरिकता संशोधन कानून
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