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'राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा करने में विफल रहे तो हिंदी हावी हो जाएगी', उदयनिधि स्टालिन बोले

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 2, 2024 20:45 IST

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि यदि राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा करने में विफल रहे तो हिंदी हावी हो जाएगी और उनकी पहचान खत्म हो जाएगी। 

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कोझीकोड/चेन्नई: तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शनिवार को इस बात पर खेद व्यक्त किया कि दक्षिण की तरह उत्तर भारत के कई राज्यों में अपनी पहचान और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए कोई फिल्म उद्योग नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा करने में विफल रहे तो हिंदी हावी हो जाएगी और उनकी पहचान खत्म हो जाएगी। 

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि द्रविड़ आंदोलन हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, लेकिन उसमें उस भाषा के प्रति कोई द्वेष नहीं है। द्रविड़ राजनीति में साहित्यिक और भाषायी लोकाचार पर उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीतिक आंदोलन, जो अपने मजबूत भाषायी और सांस्कृतिक गौरव के लिए जाना जाता है, ने लंबे समय से साहित्य और भाषा को अपने आधार स्तंभ के रूप में रखा है।

उदयनिधि ने आज कोझीकोड में ‘मनोरमा डेली’ समूह के कला एवं साहित्य महोत्सव में कहा, ‘‘साहित्यिक, भाषायी और राजनीतिक लोकाचार के इस सम्मिश्रण ने एक मजबूत पहचान बनाई, जिसने तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से आकार दिया।’’ 

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और केरल दोनों ही भारत के दो सबसे प्रगतिशील राज्य हैं और दोनों ने फासीवादी तथा सांप्रदायिक ताकतों को सफलतापूर्वक दूर रखा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि द्रविड़ नेताओं ने राष्ट्रवाद और वैज्ञानिक सोच का प्रचार करने के लिए तमिल साहित्य का सहारा लिया और सी एन अन्नादुरई तथा एम करुणानिधि जैसे नेताओं ने लोगों के बीच तमिल साहित्य को लोकप्रिय बनाया। 

उदयनिधि ने कहा कि द्रविड़ आंदोलन ने तमिल को अपनी पहचान का मूल आधार बनाया और तमिल को महज संचार के माध्यम के रूप में नहीं देखा गया बल्कि इसे समुदाय की आवाज के रूप में देखा गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे नेताओं ने जनता से जुड़ने के लिए साहित्य का सहारा लिया... अन्नादुरई और कलैगनार (करुणानिधि) के भाषणों में साहित्यिक संदर्भ समाहित थे और द्रविड़ आंदोलन के राजनीतिक दर्शन को जनता के लिए आसानी से समझने योग्य बनाया।’’ 

उदयनिधि ने कहा, ‘‘राजनीति में आने से पहले मैंने तमिल फिल्म उद्योग में कुछ समय बिताया था, जो अरबों का कारोबार कर रहा है। इसी तरह, केरल में भी फिल्म उद्योग फल-फूल रहा है। मुझे हाल के दिनों में बनी ज्यादातर मलयालम फिल्म पसंद हैं। इसी तरह, तेलुगु और कन्नड़ फिल्म भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।’’ उन्होंने जानना चाहा कि क्या उत्तर भारत के किसी राज्य में कोई अन्य भाषा दक्षिण भारत के जीवंत फिल्म उद्योग की तरह विकसित हुई है। 

उन्होंने कहा, ‘‘इसका जवाब बिलकुल नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर भारत की सभी भाषाओं ने हिंदी को स्थान दे दिया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को छोड़कर तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दलों को तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य में बने रहने के लिए द्रमुक द्वारा शुरू किए गए दो-भाषा फॉर्मूले पर जोर देना चाहिए। 

उन्होंने याद दिलाया कि राज्यपाल आर एन रवि ने राज्य विधानसभा में तमिलनाडु शब्द पढ़ने से इनकार कर दिया था लेकिन इसके बजाय उन्होंने तमिलगम कहा था। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को भाजपा से खतरा है, जो एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक संस्कृति और एक धर्म की अवधारणा को थोपने की कोशिश कर रही है। आइए, हम सब एक साथ खड़े हों और फासीवादी भाजपा से अपनी भाषा, संस्कृति और साहित्य की रक्षा करें।’’ 

इनपुट भाषा एजेंसी

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