Himachal Pradesh cloudburst and landslides: हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन के कारण तबाही मची हुई है। इन सबके बीच लगातार बारिश हो रही है। पहाड़ी राज्य में खराब मौसम की स्थिति से सैकड़ो पर्यटक भी जहां-तहां फंसे हुए हैं। गर्मी से कुछ राहत की तलाश कर रहे लोग अक्सर पहाड़ों में आते हैं लेकिन इस बार ये उनके लिए खतरनाक हो गया है। शिमला, मनाली, कसोल जैसी जगहों पर दिल्ली एनसीआर से बड़े पैमाने पर पर्यटक जाते हैं। लेकिन फिलहाल जो हालात हैं उसमें अगर आप भी हिमाचल जाने का प्लान बना रहे हों तो बेहतर होगा कि इसे कैंसल कर दें और घर बैठकर ही छुट्टियों का आनंद लें।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में 190 से अधिक सड़कें बंद हो गईं हैं। पिछले चार दिनों में लगातार बारिश से राज्य के अधिकांश हिस्से प्रभावित हुए हैं। यातायात के लिए बंद 191 सड़कों में से 79 मंडी में, 38 कुल्लू में, 35 चंबा में और 30 शिमला में, पांच कांगड़ा में और दो-दो किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों में हैं। अब तक राज्य में 294 ट्रांसफार्मर जल चुके हैं और 120 जल आपूर्ति योजनाएं बाधित हो गई हैं।
स्थानीय मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश में सात अगस्त तक भारी बारिश का 'येलो' अलर्ट जारी किया है। हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने शुक्रवार को बताया कि निगम ने कुल 3,612 मार्गों में से 82 पर बस सेवाएं निलंबित कर दी हैं। हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश जारी रही। शुक्रवार शाम से जोगिंदरनगर में सबसे अधिक 85 मिमी बारिश हुई। इसके बाद गोहर (80 मिमी), शिलारू (76.4 मिमी), पावंटा साहिब (67.2), पालमपुर (57.2 मिमी) धर्मशाला (55.6 मिमी) और चौपाल (52 मिमी) में बारिश हुई। अधिकारियों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में 27 जून को मानसून की शुरुआत होने से लेकर एक अगस्त तक बारिश से संबंधित घटनाओं में 77 लोगों ने अपनी जान गंवाई है और राज्य को 655 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
बादल फटने के बाद लापता हुए करीब 45 लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान शनिवार को फिर से शुरू हो गया लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा मोचन बल(एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), पुलिस और होमगार्ड की टीम के कुल 410 बचावकर्मी ड्रोन की मदद से खोज अभियान में शामिल हैं।
कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपखंड में बादल फटने से आई बाढ़ में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को बताया कि कुल्लू में श्रीखंड महादेव के आसपास फंसे करीब 300 लोग सुरक्षित हैं और मलाणा में करीब 25 पर्यटकों की भी स्थानीय लोग अच्छी तरह देखभाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को रामपुर के समेज गांव का दौरा किया था, जहां 30 से अधिक लोग लापता हैं। सुक्खू ने पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की थी और कहा था कि उन्हें अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे, साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाएंगी।
(पीटीआई इनपुट के साथ)