लाइव न्यूज़ :

सांसदों के वेतन-भत्तों पर चार साल में हुए इतने अरब रुपये खर्च, RTI से हुआ खुलासा

By भाषा | Updated: October 2, 2018 13:22 IST

RTI report on Lok Sabha and Rajya Sabha MP's wages: राज्यसभा सचिवालय ने गौड़ को उनकी आरटीआई अर्जी पर बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीच संसद के इस उच्च सदन के सदस्यों को वेतन और भत्तों के रूप में कुल 4,43,36,82,937 (4.43 अरब) रुपये का भुगतान किया गया।

Open in App

इंदौर, 2 अक्टूबर: सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि पिछले चार वित्तीय वर्षों में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वेतन-भत्तों पर सरकारी खजाने से कुल 19.97 अरब रुपये की रकम खर्च की गयी है। इस भुगतान का हिसाब लगाने से पता चलता है कि आलोच्य अवधि में हर लोकसभा सांसद ने प्रत्येक वर्ष औसतन 71.29 लाख रुपये के वेतन-भत्ते हासिल किये, जबकि हर राज्यसभा सांसद को इस मद में प्रत्येक साल औसतन 44.33 लाख रुपये की अदायगी की गयी।

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि लम्बी मशक्कत के बाद उन्हें सूचना के अधिकार के तहत अलग-अलग अर्जियों पर यह अहम जानकारी मिली है।

आरटीआई अपील पर लोकसभा सचिवालय से गौड़ को मुहैया कराये गये आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीच संसद के इस निचले सदन के सदस्यों के वेतन और भत्तों की अदायगी के लिये 15,54,20,71,416 (15.54 अरब) रुपये खर्च किये गये।

लोकसभा की 545 (जिनमें 543 निर्वाचित जन प्रतिनिधि और एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो मनोनीत सदस्य शामिल हैं) की सदस्य संख्या के आधार पर गणना करें, तो पता चलता है कि आलोच्य अवधि (वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीच) के दौरान प्रत्येक साल हर लोकसभा सांसद को वेतन-भत्तों के रूप में औसतन 71,29,390 रुपये का भुगतान किया गया।

राज्यसभा सचिवालय ने गौड़ को उनकी आरटीआई अर्जी पर बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीच संसद के इस उच्च सदन के सदस्यों को वेतन और भत्तों के रूप में कुल 4,43,36,82,937 (4.43 अरब) रुपये का भुगतान किया गया।

राज्यसभा की 250 की सदस्य संख्या के बूते हिसाब लगाने पर मालूम पड़ता है कि आलोच्य अवधि में हरेक सांसद के वेतन-भत्तों पर प्रत्येक साल औसतन 44,33,682 रुपये खर्च किये गये।

इस बीच, सियासी और चुनावी सुधारों के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक सदस्य जगदीप छोकर ने मांग की कि सांसदों के वेतन-भत्तों से सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ के चलते इस भुगतान की समीक्षा की जानी चाहिये।

उन्होंने कहा, "जिस तरह कॉर्पोरेट क्षेत्र में कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के मामले में कॉस्ट टू कम्पनी (सीटीसी) तय किया जाता है, उसी तरह सांसदों के वेतन-भत्तों के मामले में पारदर्शी तरीके से कॉस्ट टू कंट्री निश्चित किया जाना चाहिये। इस पैकेज में सांसदों को हर मद में किये जाने वाले भुगतान की रकम पहले से तय होनी चाहिये।" छोकर ने कहा, "सांसदों का वेतन भले ही दस गुना बढ़ा दिया जाये। लेकिन पगार के इस पूर्व निर्धारित पैकेज के अलावा उन्हें न तो किसी तरह का परिवर्तनीय भत्ता दिया जाना चाहिये, न ही मकान, वाहन, भोजन, चिकित्सा, हवाई यात्रा, टेलीफोन और अन्य सुविधाओं पर उनके खर्च का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना चाहिये।"

टॅग्स :आरटीआईसंसद
Open in App

संबंधित खबरें

भारतसांसद जब पढ़ेंगे नहीं तो संसद में गंभीर चर्चा कैसे कर पाएंगे?

भारतParliament Winter Session: संसद शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, विपक्ष के नेता मौजूद; SIR पर हो सकती है बहस

भारतसंसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक चलेगा, जानें मुख्य मुद्दे

भारतसंसद के पास सांसदों के आवासों में भीषण आग, निवासियों में फैली दहशत

भारतDelhi: ब्रह्मपुत्र अपार्टमेंट में लगी भीषण आग, इमारत में सांसदों के फ्लैट; आग बूझाने का काम जारी

भारत अधिक खबरें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक