मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर केंद्रीय सत्ता की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार पर धावा बोला है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर बेहद तीखा कटाक्ष करते हुए दावा किया है कि इस समय देश पर शासन कर रही एनडीए को केवल तीन मजबूद दलों का सहारा है और वो हैं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग (आईटी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)।
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के शीर्ष नेताओं में शुमार उद्धव ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक और राज्यसभा सांसद संजय राउत को दिए इंटरव्यू में मणिपुर हिंसा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर से कोई मतलब नहीं है। इस कारण वो हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य का दौरा करने से हिचक रहे हैं।
ठाकरे ने हाल में भाजपा की अगुवाई में संपन्न हुई एनडीए की बैठक पर चोट करते हुए कहा कि भाजपा के लिए जब-जब चुनाव करीब आते हैं तो उसकी सरकार एनडीए की हो जाती है और जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, एनडीए ठंडे बस्ते में चला जाता है और वापस वो मोदी सरकार में बदल जाती है।
इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि एनडीए में महज नाम के लिए 36 पार्टियां हैं। सच्चाई तो ये है कि एनडीए में केवल तीन पार्टियों का रोल है, उनमें से एक ईडी है, दूसरी सीबीआई है और तीसरी आईटी है। एनडीए में केवल यही तीन पार्टियां मजबूत हैं बाकि तो केवल दिखावा भर हैं। कुछ पार्टियों की हालत तो ऐसी है कि उनके पास एक भी सांसद नहीं है।"
इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर संजय राउत से कहा कि भाजपा को पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाना चाहिए। उसके बाद उसे यूसीसी का जिक्र करना चाहिए। उन्होंने कहा, "जहां तक कानून की समानता की बात है तो कानून के सामने किसी को समान होना चाहिए। इस तरह तो भाजपा में भी जो भ्रष्ट लोग हैं, उन्हें भी दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा है?"
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने शिवसेना में फूट डाली, उन्होंने सोचा कि महाराष्ट्र से टीम ठाकरे को ही खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, हम फिर से उभर रहे हैं और दोगुने ताकत के साथ उभर रहे हैं। ठाकरे ने कहा, ''यह एक छिपा हुआ आशीर्वाद भी है क्योंकि बगावत करने वाले कई दिग्गज लंबे समय से अपनी सीटों पर काबिज हैं और अब उनकी जगह नए लोगों को मौका मिल सकता है।''
मालूम हो कि पिछले साल जून में शिवसेना के तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 39 अन्य विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण शिवसेना दो फाड़ में विभाजित हो गई थी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। जिसमें एनसीपी और कांग्रेस उनके सहयोगी घटक थे। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)