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दीपू दास-अमृत मंडल की पीट-पीट कर हत्या, विदेश मंत्रालय ने कहा-बांग्लादेश अंतरिम सरकार कार्यकाल में 2,900 से अधिक घटना

By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 26, 2025 17:13 IST

मयमनसिंह में ईशनिंदा के आरोपों पर एक अन्य हिंदू व्यक्ति, दीपू दास की पीट-पीटकर हत्या करने और उसके शव को आग लगाने के एक सप्ताह बाद हुई है।

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ठळक मुद्देविदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है।बीएनपी के तारिक रहमान की वापसी पर कहा कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करता है।जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की उम्मीद करते हैं।

नई दिल्लीः बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध समेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी वैमनस्य गंभीर चिंता का विषय है। बांग्लादेश में दो हिन्दू की हत्या के बाद दुनिया भर में प्रदर्शन हो रहा है। बांग्लादेश में बुधवार को अमृत मंडल नामक एक हिंदू व्यक्ति की कथित जबरन वसूली के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना मयमनसिंह में ईशनिंदा के आरोपों पर एक अन्य हिंदू व्यक्ति, दीपू दास की पीट-पीटकर हत्या करने और उसके शव को आग लगाने के एक सप्ताह बाद हुई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है।

विदेश मंत्रालय ने बीएनपी के तारिक रहमान की वापसी पर कहा कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करता है। इस घटनाक्रम को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हम मयमनसिंह में हाल में एक हिंदू युवक की हुई जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की उम्मीद करते हैं।

अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश में स्वतंत्र स्रोतों द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 2,900 से अधिक घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना या राजनीतिक हिंसा कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है। 

हिंदू समर्थक संगठन हिंदू संहति के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कथित हमलों के विरोध में कोलकाता स्थित बांग्लादेश के उप उच्चायोग कार्यालय तक रैली निकाली और वहां के अधिकारियों को छह सूत्री मांगपत्र सौंपा। संगठन के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उप उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात कर अपनी मांगें सौंपीं।

इनमें 18 दिसंबर को मेमनसिंह में दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कथित हत्या में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग शामिल है। हिंदू संहति की सलाहकार समिति के सदस्य और प्रतिनिधिमंडल में शामिल रजत रॉय ने कहा, “हमने दीपू दास के हत्यारों के साथ-साथ इस घटना की अनदेखी करने वाले पुलिस अधिकारियों को भी अनुकरणीय दंड देने की मांग की है।

इसके अलावा, हमने बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है, जिनके कारण ऐसे हमले हो रहे हैं।” प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने संवाददाताओं को बताया कि उप उच्चायोग के एक अधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह इन मांगों को बांग्लादेश सरकार तक पहुंचाएंगे।

रॉय ने कहा, “हमने इस बात पर भी जोर दिया कि सीमा पार अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और उनके धार्मिक संस्थानों को पूरी सुरक्षा दी जानी चाहिए। हमने यह भी मांग की कि धार्मिक ग्रंथों के उन अंशों पर प्रतिबंध लगाया जाए, जो असहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं और अन्य धर्मों के अनुयायियों को ‘काफिर’ बताकर उनके खिलाफ हिंसा को जायज ठहराते हैं।”

रैली उत्तरी कोलकाता के सियालदह स्टेशन से शुरू हुई और शहर के मध्य हिस्से में स्थित बेकबागान में उप उच्चायोग के कार्यालय की ओर बढ़ी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सीमा पार अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कथित अत्याचारों के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों को परिसर तक पहुंचने से रोकने के उद्देश्य से उप उच्चायोग कार्यालय के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया और सुरक्षा बैरिकेड्स लगाए गए। पुलिस द्वारा गंतव्य से कुछ सौ मीटर पहले रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने उप उच्चायोग कार्यालय के सामने एजेसी बोस रोड को जाम कर दिया और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

रैली में शामिल तीन सदस्यों को राजनयिक अधिकारियों से मिलने की अनुमति दी गई। यह किसी कट्टरपंथी हिंदू संगठन द्वारा 23 दिसंबर के बाद उप उच्चायोग कार्यालय तक मार्च करने का दूसरा प्रयास है। विपक्ष के नेता और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी दिन में बाद में कई हिंदू संगठनों के नेताओं के साथ उप उच्चायुक्त से मुलाकात करने वाले हैं।

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