अनुचित रखरखाव, प्रक्रियाओं का पालन न करना, ऑपरेटर द्वारा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करना, ये कुछ ऐसे निष्कर्ष है जो डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने अपनी जांच रिपोर्ट के बाद पेश किए हैं। मामला बीते दिनों हुए पवन हंस हेलीकॉप्टर हादसे से जुड़ा हुआ है जिसमें दो पायलटों समेत 7 लोगों की मौत हो गई थी। डीजीसिए ने 1988 से लेकर 2018 तक यानी करीब 30 साल पुराने आंकड़ो पर रिसर्च और मामले की शुरूआती जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है।
पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड (पीएचएचएल) से जुड़ी रिपोर्ट में डीजीसिए ने बताया है कि बीते 30 सालों में अब तक करीब 25 हादसे हुए हैं। 1988 से लेकर अब तक पवन हंस हेलीकॉप्टर हादसे में अब तक कुल 91 लोगों की मौत हुई है। इसमें 60 यात्री, चार दल समेत 27 पायलट भी शामिल हैं। हांलाकि डीजीसिए की ये शुरूआती जांच के कुछ सामान्य निष्कर्ष हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीते 30 सालों में हुए 25 हादसों में से पांच हादसे 20 नवंबर, 2013 के बाद हुए। इसमें इस महीने 13 जनवरी को मुंबई में पवन हंस हेलीकॉप्टर हादसा भी शामिल है। हांलाकि इस हादसे की जांच अब भी जारी है। डीजीसिए ने पाया है कि पवन हंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड ने सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया है। सीधे तौर पर यह संकेत मिलते हैं कि "तकनीकी कारणों और प्रबंधन की विफलताओं" के चलते अधिक दुर्घटनाएं हुई है।
बीती 13 जनवरी को पवनहंस हेलीकॉप्टर का उड़ान भरने के 15 मिनट बाद ही मुंबई एटीसी और ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) दोनों से इसका संपर्क टूट गया था। इसके कुछ देर बाद इसके क्रेश होने की खबर मिली थी। इस हादसे में ओनजीसी के अधिकारियों और दो पायलटों समेत सात लोगों की मौत हो गई थी।