मुंबईः गौतम अडानी और सावरकर पर राहुल गांधी के बयान के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस अपनी ही सहयोगी पार्टियों के निशाने पर आ चुकी है। राहुल गांधी की सावरकर पर टिप्पणी को लेकर सहयोगी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पहले ही अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी है, अब शरद पवार के अडानी के पक्ष में दिए बयान पर भी वह घिर चुकी है।
दरअसल कांग्रेस नेता अलका लांबा ने शरद पवार पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कहा कि 'लालची' और डरे हुए लोग की सत्ता के गुण गा रहे हैं। लांबा के इस बयान के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और राहुल गांधी पर भारत की राजनीतिक संस्कृति को बिगाड़ने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि 'राजनीति आएगी और जाएगी लेकिन 35 साल के अपने लंबे समय से सहयोगी और भारत के सबसे वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं में से एक और महाराष्ट्र के 4 बार के मुख्यमंत्री पर कांग्रेस नेता का ट्वीट भयावह है।” फड़नवीस ने कहा कि राहुल गांधी भारत की राजनीतिक संस्कृति को विकृत कर रहे हैं।
शरद पवार ने अपने एक हालिया इंटरव्यू में कांग्रेस की उस मांग की ही कटघरे में खड़ा कर दिया जिसकी जमीन पर वह सत्ता पक्ष पर हमलावर थी। अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में जेपीसी की मांग को गैरमहत्वपूर्ण बताते हुए शरदा पवार ने कहा कि इसकी कोई जरूरत ही नहीं है जब शीर्ष अदालत ने मामले में एक समिति गठित कर चुका है। यहां तक कि शरद पवार ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को अडानी पर जानबूझकर हमला करने के रूप में व्यक्त किया।
एनसीपी नेता ने कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे का कुछ ज्यादा ही तुल दे दिया। अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति पर संदेह पैदा करेगा।
अल्का लांबा के ट्वीट पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तुरंत टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या यह कांग्रेस की आधिकारिक स्थिति है। इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि बिल्कुल नहीं। पवार पर कांग्रेस के विचार नहीं है। उनके लिए पार्टी हैंडल चेक करें।लांबा ने कहा, मैं कांग्रेस का एक कार्यकर्ता हूँ, मेरे ट्वीट मेरे निजी हैंडल पर मेरे स्वतंत्र विचार हैं, उनकी जिम्मेदारी और मेरी जिम्मेदारियां हैं, पार्टी में लोकतंत्र है, हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है।