Arvind Kejriwal Case Update: दिल्ली की कथित शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। यहां कोर्ट ने केजरीवाल की एक अप्रैल तक रिमांड बढ़ाई है। बताते चले कि ईडी ने केजरीवाल की सात दिनों की रिमांड मांगी थी। कोर्ट में ईडी ने कहा, हमारे पास 100 करोड़ रिश्वत के सबूत हैं, केजरीवाल शराब घोटाले के किंग-पिंग हैं।
दिल्ली की कथित शराब घोटाला मामले में दिल्ली सीएम के वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने आज अदालत के सामने स्वीकार किया कि वह हिरासत में रहने के लिए तैयार हैं और वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। वहीं. अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने कहा कि आपके सीएम को परेशान किया जा रहा है।
वहीं, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट में केजरीवाल ने खुद अपना पक्ष रखा। केजरीवाल ने कहा कि मुझे 4 लोगों के बयान के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया। जैसे ही बयान उनके खिलाफ गए ईडी ने रिकॉर्ड पर लिए। शरथ रेड्डी से बीजेपी ने इलेक्टोरल बांड के ज़रिए 55 करोड रुपए लिए और रेड्डी को छोड़ दिया। एक तरफ बीजेपी ने पैसे की उगाही की और दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को खत्म करने का षड्यंत्र रचा गया। क्या एक मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए यह आधार काफी हैं जो ईडी ने दिए। बताते चले कि कोर्ट में सुनवाई पुरी हो गई है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इधर केजरीवाल की कोर्ट में पेशी से पहले दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंन भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी आम आदमी पार्टी को तोड़ना चाहती है क्योंकि इनको पता है दिल्ली और पंजाब में चुनाव लड़ कर आम आदमी पार्टी को हराया नही जा सकता। उन्होंने कहा पंजाब में 4 राजनीतिक पार्टियां है पहले पर आप दूसरे और तीसरे पर कांग्रेस-अकाली और चौथे पर भाजपा है।
बीजेपी ने साधा निशाना
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जो संविधान और कानून की व्याख्या हैं वो सामने आ रही हैं क्योंकि अरविंद केजरीवाल के पास अगर नैतिकता होती तो वे इस्तीफा दे देते। अगर उन्हें इसमें राजनीति दिख रही है तो उच्च न्यायालय के जिन न्यायाधीशों ने उनकी फाइल देखी वो भी राजनीति कर रहे हैं क्या।
दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचारी और लूटेरे तो बन ही गए हैं लेकिन अब वे मानसिक दिवालियापन की कगार पर भी हैं। क्या वे न्यायाधीश को राजनीतिक कहना चाहते हैं।