मुंबई: पुलिस ने एआईएमआईएम के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान को बुरका विवाद में घर पर नजरबंद कर दिया है। जानकारी के मुताबिक विरास पठान बुरका प्रतिबंध के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से लिए घर से निकल रहे थे तभी मुंबई पुलिस उनके घर पहुंची और उन्हें नजरबंद करने का आदेश सुनाया।
इस मामले में मुंबई पुलिस की ओर से कहा गया है कि वारिस पठान को एहतियान नजरबंद किया गया है। पुलिस को आशंका थी कि वारिस पठान के प्रदर्शन स्थल पर जाने से तनाव भड़क सकता था। इसलिए पुलिस ने एआईएमआईएम के पूर्व विधायक को उनके वर्ली आवास पर नजरबंद कर दिया।
वहीं मुंबई पुलिस के दावे के उलट वारिस पठान ने कहा कि एआईएमआईएम की महिला शाखा द्वारा मुस्लिम महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध की व्यवस्था की, जिन्हें मुंबई के मलाड में हिजाब पहनने से मना कर दिया गया था। इसके विरोध में 2 से 5 बजे के आसपास प्रदर्शन होगा। मैं शांतिपूर्ण विरोध में शामिल होने के लिए वहां जाना चाहता था लेकिन पुलिस ने मुझे जबरदस्ती मेरे घर में नजरबंद कर दिया है।
इस मामले में ट्वीट करते हुए वारिस पठान ने ट्विटर पर लिखा, "मुझे मुंबई पुलिस ने मेरे वर्ली आवास पर नजरबंद कर दिया है क्योंकि मुझे हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मलाड मुंबई में एआईएमआईएम मुंबई महिला इकाई द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होना था। क्या महाविकास अघाड़ी सरकार के शासन में लोकतंत्र बचा है?"
मालूम हो कि इससे पहले बुरका प्रतिबंध पर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन औवैसी ने इस मामले में जबरदस्त वकालत करते हुए यहां तक कह दिया था कि आने वाले वक्त में एक दिन ऐसा आयेगा कि हिजाब पहने वाली लड़की इस मुल्क की प्रधानमंत्री बनेगी। उन्होंने कहा कि याद वो दिन देखने के लिए मैं जिंदा न रहूं लेकिन एक दिन ऐसा होकर रहेगा।
कर्नाटक उडुपी जिले में पिछले महीने शुरू हुए हिजाब विवाद ने तब तूल पकड़ लिया जब एक कॉलेज ने कुछ मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर आने के कारण कैंपस में प्रवेश करने से मना कर दिया था। उसके बाद इस हिजाब विवाद ने तेजी से पूरे देश को अपनी आगोश में ले लिया है।
कुल मिलाकर हिजाब एक ऐसा विवादास्पद मामला बन गया है कि इस मसले पर केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आवाजें उठ रही हैं। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ओर से भी हिजाब को लेकर मामले में कड़ी प्रतिक्रिया आ रही हैं।
पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को बुलाकर अपना विरोध भी दर्ज कराया था। इसके साथ ही इस्लामिक संगठन ने भी मामले में चिंता जताते हुए विरोध किया था, लेकिन भारत सरकार की ओर से संगठन के बयान को भ्रामक और तथ्यों से परे बताते हुए खारिज कर दिया गया था।