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बजट 2019: मंहगाई से GDP ग्रोथ तक, देश के विकास और आर्थिक पैमानों पर मनमोहन की तुलना में क्या बेहतर है मोदी सरकार?

By पल्लवी कुमारी | Published: January 30, 2019 8:12 AM

2014 में मोदी सरकार यूपीए2 को हराकर सत्ता में कई सारे वादों के साथ आई थी। हमेशा से ही विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर दोनों सरकारों की नीतियों और उपलब्धियों की तुलना होती रही है। 

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नरेन्द्र मोदी सरकार एक फरवरी को अपना आखिरी और अंतरिम बजट पेश करने जा रही है। मोदी सरकार इस बार लोकसभा चुनाव 2019 को मद्देनजर रखते हुए बजट में कई लुभावने वादे कर सकती है। लेकिन केंद्र की पिछली यूपीए सरकार और मौजूदा एनडीए सरकार में देश की अर्थव्यवस्था की क्या दशा-दिशा रही, ये जानने का संभवत सबसे बेहतर वक्त है। 2014 में मोदी सरकार यूपीए2 को हराकर सत्ता में कई सारे वादों के साथ आई थी। हमेशा से ही विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर दोनों सरकारों की नीतियों और उपलब्धियों की तुलना होती रही है। 

पिछले साल 2018 में राज्यसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट प्रस्तावों पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए यूपीए के 2004 से 2014 के बीच औ एनडीए के 2014 से 2017 -18 के आखिरी तीन सालों और मौजूदा मोदी सरकार के तीन सालों के आंकड़े गिनाए थे। जिसमें उन्होंने साफ-साफ कहा था कि मोदी सरकार ने जितना इन चार सालों में किया है उतना यूपीए की सरकार ने अपने दो पूरे कार्यकाल में भी नहीं किया है। 

पिछले चार सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे काम किए हैं, जिसे जनता ने सराहा है, जैसे कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स(GST), इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (IBC), कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश से जुड़े सुधार, जन-धन योजना और आधार-बैंक को जोड़ने वाला सब्सिडी सुधार कार्यक्रम प्रमुख हैं। वहीं कई काम ऐसे भी किए हैं, जिसके बाद जनता ने मोदी सरकार की आलोचना भी की है। जिसमें 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला प्रमुख था। इस फैसले से पीएम मोदी ने देश में 86 फीसद करेंसी को गैरकानूनी बना दिया था। विपक्ष ने इसे आधुनिक भारत के आर्थिक इतिहास की सबसे बड़ी आर्थिक तबाही बताई थी।

लेकिन बात जब बजट की आती है तो हिसाब साफ-साफ हो जाता है, कि देश के विकास में किस सरकार का कितना योगदान है। तो आइए हम आपको GDP ग्रोथ से लेकर महंगाई और देश की अर्थव्यवस्था के प्रमुख पैमानों से ये बताते हैं कि मनमोहन सिंह सरकार के सामने नरेन्द्र मोदी सरकार कहां है?

1- जीडीपी ग्रोथ (GDP)

यूपीए शासन में 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 5.3 प्रतिशत थी। वहीं, 2013-14 में ये 6.4 प्रतिशत हुई। 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत है। वहीं 2019 में ये आकड़े 7.5 प्रतिशत हैं 2020 में 7.7 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने के अनुमान हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जनवरी 2019 में हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट में कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी।

2- चालू खाता घाटा (CAD)

2018 में राज्यसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट प्रस्तावों पर कहा था यूपीए शासन में चालू खाता घाटा (CAD) दुनियाभर का रिकॉर्ड तोड़ करके 6.8% पर पहुंच गया था। जबकि आखिरी दो सालों में यह 4.2%(2016) और 4.8%(2017) पर ही रहा है। बजट पेपर्स के आकड़ों के मुताबिक ये घाटा आधा प्रतिशत, 1%, 1.5% से ज्यादा कभी नहीं गया। 

3- राजकोषीय व्यय (Fiscal Deficit) यूपीए के आखिरी तीन सालों में वित्तीय घाटा 5.9%, 4.9%, 4.5% था एनडीए की 2014 में सरकार आने के बाद फिस्कल डेफिसिट 4.1%, 3.9% और 3.5% रहा। 2018 में यह 3.5 रहा। 

4- खुदरा महंगाई दर

2018 में पेश हुए बजट के आकड़ों के मुताबिक, यूपीए के कार्यकाल के आखिरी तीन सालों में महंगाई दर 9.4 प्रतिशत, 10.4% और 9%। एनडीए की सरकार के पिछले तीन सालों में महंगाई दर 2% -2.5% भी रही, 3% भी रही और 2018 की औसत मंहगाई है 3.6%। 

5- टैक्स राजस्व में वृद्धि

बजट पेपर्स के आकाड़ों के मुताबिक, यूपीए 2013-14 में 9.9 प्रतिशत टैक्स राजस्व में वृद्धि हुई थी तो वहीं, एनडीए में 2017-18 में ये बढ़ोतरी 12.2 प्रतिशत रही है। एनडीए सरकार के पहले चार साल के कार्यकाल में सरकार ने औसतन हर साल 15.91 लाख करोड़ रुपए टैक्स वसूली की है। यूपीए-2 की टैक्स से सालाना आमदनी 8.36 लाख करोड़ थी।

6- पेट्रोल- डीजल के दाम

एनडीए सरकार के पिछले चार सालों में पेट्रोल का औसत मूल्य मार्च महीने 2018 तक मुंबई में 73.20 रुपए प्रति लीटर था। वहीं यूपीए-2 के राज में पेट्रोल का दाम औसतन 65.14 रुपए प्रति लीटर रहा था। मोदी सरकार के चार साल में मुंबई में डीजल औसतन 61.40 रुपए प्रति लीटर था। यूपीए-2 के राज में डीजल औसतन 45.44 रुपए था। ( बता दें यहां पेश किए गए सारे आकड़े बजट में पेश हुए आकड़ों से लिए गए हैं) 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 

- नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत की राय

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत की राय ने जनवरी में हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान पर खुशी जाहिर की थी। अमिताभ कांत ने कहा था- भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए शहरीकरण एक बड़ा फैक्टर साबित होगा।  लगातार आर्थिक दिशा में उठाए जा रहे सही कदमों के परिणाम से देश आगे बढ़ रहा है।"

कांत ने यह भी कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत के अनुमान को पार कर सकती है। कांत ने कहा कि IMF का अनुमान है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहेगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिदृश्य के संदर्भ में यह बात अपने आप में अच्छी है। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस आंकड़े को भी पार जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत शहरीकरण को बढ़ावा दे रहा है। 100 से ज्यादा स्मार्ट सिटी का विकास किया जा रहा है।

कांत ने कहा-  बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में फिर से सुधार हुआ है। वहीं मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे जैसे वृहद आर्थिक आंकड़े भी हमारे पक्ष में हैं। 

- DIPP के सचिव रमेश अभिषेक की राय 

औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने इंडिया टूडे को बताया कि अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच होड़ मची है और सभी राजनीतिक दलों ने आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को अपनाया भी है।

उन्होंने भारत द्वारा हाल में किए गए कई आर्थिक सुधारों का हवाला दिया है। जिसमें कारोबार सुगमता, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विनिर्माण और कराधान से जुड़े सुधार शामिल हैं।

- पी चिंदबरम की राय 

पी चिंदबरम ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर पूछा मौजूदा सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली को लेकर सवाल पूछा था। उन्होंने कहा था - मोदी सरकार में अगर मैं वित्त मंत्री होता था तो इस्तीफा दे देता। मोदी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में नोटबंदी और जीएसटी, देश के लोगों पर थोपे गए ये दोनों फैसले किसी आपदा से कम नहीं थे।

पी चिंदबरम ने कहा-  आजादी के बाद से लेकर अब तक की सर्वश्रेष्ठ विकास दर यूपीए सरकार के कार्यकाल में रही है। मोदी सरकार में तो अर्थव्यवस्था पंगु हो गई है। सरकार झूठ बोलने पर लगी है। अर्थव्यवस्था को जब साढ़े चार साल में पटरी पर नहीं ला सके तो अब सरकार के बाकी बचे 60 दिन में क्या हो जाएगा।  

- वैश्विक सलाहकार कंपनी पीडब्ल्यूसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी विकास दर को लेकर बेहद उत्साहजनक अनुमान लगाया है। अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा कि भारत इसी वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में ब्रिटेन को पीछे छोड़ पांचवें स्थान पर आ सकता है।

- विश्व बैंक ने कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक की ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2018-19 में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इसके साथ ही अगले कुछ वर्षों में इसके 7.5 प्रतिशत पर बने रहने का पूवार्नुमान जारी किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लैगार्ड ने की भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लैगार्ड ने भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति की जमकर तारीफ की है। दावोस में हुए वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में भारतीय मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए व्यापक सुधार किए गए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर आज भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो चुकी है और ऐसे में भारत में इकोनॉमी के और तेजी से वृद्धि करने की जरूरत है। हालांकि लैगार्ड ने भारत सरकार से कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की भी अपील की थी।

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