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अखिलेश यादव का निशाना, यूपी में हिंसक विरोध प्रदर्शन सीएम योगी के भाषणों के चलते हुई, NPR में जातियों की भी गणना हो

By एएनआई | Updated: December 27, 2019 16:56 IST

अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन योगी आदित्यनाथ के बदला लेने वाले भाषणों के चलते हुई है.

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ठळक मुद्देCAA विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोग मारे गए हैं और राज्य में 1,100 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं।अखिलेश यादव ने कहा है कि जातियों को एनपीआर में गिना जाना चाहिए

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने कई सारी सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहु़ंचाया है। अखिलेश यादव ने कहा, "योगी आदित्यनाथ सरकार पुलिस की ज्यादती से प्रभावित लोगों को मुआवजा प्रदान करे। समाजवादी प्रमुख ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार कार्रवाई के नाम पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को आतंकित करना चाहती है। समाज में लोगों के बीच फूट पैदा करना इनका एकमात्र उद्देश्य है।" 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में पुलिस द्वारा लोगों के घरों में घुसकर की गई तोड़फोड़ और सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, "भाजपा देश में हिंदू-मुस्लिम एकता से भयभीत है और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जैसे मुद्दों को उठाकर सामाजिक ताने-बाने को चीरने की कोशिश कर रही है।" 

सपा नेता ने कहा कि सीएए के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन बताते हैं कि लोग इसका समर्थन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "संविधान को मानने वाले भारतीय और इसकी प्रस्तावना सरकार के साथ खड़ी है।" उन्होंने कथित तौर पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई से लोगों की मौत पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "विरोध प्रदर्शनों में यूपी में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। असम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जहां सुरक्षा बलों के कॉलम भी तैनात किए गए थे, लेकिन मौतों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम थी।" उन्होंने कहा, यूपी में हुई हिंसा मुख्यमंत्री के बदला लेने वाले भाषणों के कारण हुई।

अखिलेश यादव ने शुक्रवार (27 दिसंबर) को कहा कि मोदी सरकार ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विकल्प चुना है क्योंकि एनआरसी को लाया नहीं जा सकता है। साथ ही मांग की गई है कि जातियों को एनपीआर में गिना जाना चाहिए। 

इससे पहले बुधवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी मांग की कि लोगों के खिलाफ पुलिस ज्यादती का आरोप लगाते हुए राज्य में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की जांच के लिए यूपी सरकार को एक स्वतंत्र पैनल का गठन करना चाहिए। विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोग मारे गए हैं और राज्य में 1,100 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

टॅग्स :अखिलेश यादवनागरिकता संशोधन कानूनकैब प्रोटेस्टउत्तर प्रदेशएनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजिका)नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर एनपीआर
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