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बीजेपी से बागी कीर्ति आजाद की उम्मीदों पर फिरा पानी, नहीं मिला 'हाथ' का साथ!

By एस पी सिन्हा | Updated: April 8, 2019 08:13 IST

भाजपा से भागे सांसद कीर्ति झा आजाद को पड़ा महंगा, कांगेस का दामन तो थामा पर ’हांथ’ ने नही दिया साथ, रह गये ’अकेले’, लेकिन बाजी मार ले गये बिहारी बाबू...

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ठळक मुद्देपार्टी में शामिल होते ही शत्रुघ्न को पटना साहिब से टिकट भी दे दिया गया है.कीर्ति आजाद की टिकट दरभंगा से काट दी गई अब तो बिहार में उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद ही समाप्त हो गई है.

पटना, 7 अप्रैल: 'ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले रे हम रह गये अकेले.' यह गाना शायद कीर्ति झा आजाद गा रहे होंगे. भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए सांसद कीर्ति झा आजाद का हाल शायद कुछ ऐसा हीं होगा. कीर्ति झा आजाद फरवरी माह में ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे. जबकि शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को ही कांग्रेस ज्वाइन किया है. पार्टी में शामिल होते ही उन्हें पटना साहिब से टिकट भी दे दिया गया है. वहीं, कीर्ति आजाद की टिकट दरभंगा से काट दी गई और अब तो बिहार में उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद ही समाप्त हो गई है.

यहां बता दें कि कीर्ति आजाद जो लगातार दरभंगा सीट से चुनाव लडने का दावा कर रहे थे. लेकिन दरभंगा सीट राजद के खाते में जाने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. वहीं, अब बिहार में उनके लिए कोई सीट नहीं है जिससे उन्हें टिकट मिल सके. ऐसे में शत्रुघ्न सिन्हा कीर्ति झा आजाद से आगे निकले जिन्हें पार्टी ज्वाइन करते ही तरजीह मिली और पटना साहिब का टिकट भी उन्हें दे दिया गया. 

जानकारों की अगर मानें तो कीर्ति झा आजाद को टिकट न मिलना और शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट पाने में सफल होना लालू के गुणा गणित का खेल माना जा रहा है. जिसमें सिन्हा पास होते दिखे तो आजाद इसमें फेल हो गए. शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस ज्वाइन करने के फैसले के अंत तक लालू यादव से सलाह मशविरा करते नजर आए. सिन्हा ने खुद ही कहा कि उन्हें लालू यादव की सलाह के बाद ही कांग्रेस ज्वाइन किया है.

हालांकि, कीर्ति आजाद ने भी लालू यादव के पास हाजरी लगाई थी. लेकिन उनकी दरभंगा से लडने की जिद को लालू यादव ने अनसुना कर दिया और महागठबंधन में टिकट के गणित में लालू यादव ने कीर्ति आजाद का पत्ता काट दिया. हालात ऐसे हो गए की अब तो बिहार में ही उनके लिए कोई टिकट नहीं बची. 

हालांकि झारखंड के धनबाद से उन्हें टिकट मिलने की आश अभी बची हुई है अर्थात वह बेघर हो गये. लेकिन जिस दावे के साथ वह कांग्रेस में शामिल हुए थे उन्हें पार्टी पूरी नहीं कर पाई. जबकि शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले पूरा मंथन किया. साथ ही लालू यादव से भी पूरा सलाह लिया.

हालांकि माना जा रहा था कि वह राजद में भी शामिल हो सकते हैं. लेकिन पटना साहिब सीट को लेकर शायद उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिलाना पडा. इसलिए उन्होंने कहा भी था की लालू यादव की सलाह से ही वह कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

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