Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: 16 मार्च से लागू आदर्श आचार संहिता हटाई गई, निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विजयी उम्मीदवारों की सूची सौंपी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 6, 2024 21:28 IST2024-06-06T21:26:04+5:302024-06-06T21:28:06+5:30

Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: आयोग द्वारा 16 मार्च को चुनावों की घोषणा किए जाने से लेकर चार जून को मतगणना तक कुल 82 दिन की चुनावी प्रक्रिया चली।

Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct in force March 16 removed Election Commission submits list winning candidates President Draupadi Murmu | Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: 16 मार्च से लागू आदर्श आचार संहिता हटाई गई, निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विजयी उम्मीदवारों की सूची सौंपी

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HighlightsLok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: कुल 44 दिन में मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई।Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: 1951-52 के पहले संसदीय चुनावों के बाद दूसरी सबसे लंबी प्रक्रिया रही।Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: 1951-52 में यह अवधि चार महीने से अधिक थी।

Lok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct:लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही 16 मार्च से लागू आदर्श आचार संहिता बृहस्पतिवार को हटा ली गई है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा कि लोकसभा चुनाव और अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव और कुछ सीटों पर उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ‘आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से हटा ली गई है’। बृहस्पतिवार को ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विजयी उम्मीदवारों की सूची सौंपी, जिसके बाद 18वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस बार कुल 44 दिन में मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई, जो 1951-52 के पहले संसदीय चुनावों के बाद दूसरी सबसे लंबी प्रक्रिया रही।

1951-52 में यह अवधि चार महीने से अधिक थी। इस बार आयोग द्वारा 16 मार्च को चुनावों की घोषणा किए जाने से लेकर चार जून को मतगणना तक कुल 82 दिन की चुनावी प्रक्रिया चली। दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया के तहत सात चरण में मतदान हुआ, जिसकी शुरुआत 19 अप्रैल को हुई। आदर्श आचार संहिता सभी हितधारकों द्वारा सहमत और चुनावों के दौरान लागू परंपराओं का एक दस्तावेज है।

राजनीतिक दल स्वयं चुनाव के दौरान अपने आचरण को नियंत्रित रखने और संहिता के भीतर काम करने पर सहमत हुए हैं। यह निर्वाचन आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिये गए जनादेश को ध्यान में रखते हुए मदद करता है, जो उसे संसद और राज्य विधानमंडलों के लिये स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की निगरानी एवं संचालन करने की शक्ति देता है।

हालांकि इसे कोई वैधानिक समर्थन प्राप्त नहीं है लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कई मौकों पर इसकी पवित्रता को बरकरार रखा है। आयोग संहिता के किसी भी उल्लंघन की जांच करने और सजा सुनाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है। आचार संहिता की शुरुआत 1960 में केरल में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता तैयार करने की कोशिश की।

यह संहिता पिछले 60 वर्षों में विकसित होकर अपने वर्तमान स्वरूप में पहुंची है। भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार, आदर्श आचार संहिता में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे प्रचार के लिए अपने आधिकारिक पदों का उपयोग न करें।

आचार संहिता लागू रहने के दौरान मंत्री और अन्य सरकारी प्राधिकरण किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकते। ऐसी किसी भी परियोजना या योजना की घोषणा नहीं की जा सकती है जो सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करती हो और चुनाव आचार संहिता लागू होने की स्थिति में मंत्री प्रचार के मकसद से सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

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