पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपने विजय भाषण के दौरान एमवाय को नये ढंग से प्रस्तुत किए जाने के बाद बिहार में होने वाले मंत्रिमंडल के गठन के दौरान इस पर ध्यान दिए जाने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। दरअसल, पीएम मोदी ने राजद एमवाय(मुस्लिम-यादव) के फार्मूले से इतर एमवाय अर्थात महिला और युवा की चर्चा छेड एक नई सियासत को जन्म दे दिया है। ऐसे में अब इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि क्या इस बार के एनडीए मंत्रिमंडल में एक महिला उपमुख्यमंत्री भी बन सकती हैं? सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि क्या इस बार पीएम मोदी का यह फॉर्मूला ‘एम’और ‘वाय’ यानी महिला और और युवा मंत्रिमंडल का मुख्य आधार बनेंगे? क्या एनडीए अब अपने इस नये ‘एमवाय’ फॉर्मूले को मंत्रिमंडल में भी लागू करके राजनीतिक जवाबदेही दिखाएगा?
बता दें कि 2020 और 2024 में एनडीए ने बिहार में दो उपमुख्यमंत्रियों का फॉर्मूला अपनाया था। साल 2020 में तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनीं थी और साल 2024 में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भाजपा के कोटे से उपमुख्यमंत्री बने थे। यह समीकरण जातीय संतुलन और क्षेत्रीय संतुलन को दर्शाता था। लेकिन इस बार एनडीए के सामने एक विकल्प मुंह बाये खड़ी है। एनडीए के पास एक विकल्प है कि वह पुराने फार्मूले पर ही कायम रहते हुए दो उपमुख्यमंत्रियों को रखे। हालांकि, इस बार भाजपा कोटे से दोनों नाम बदल सकते हैं या कम से कम एक नाम बदल सकता है ताकि नए ‘एमवाय’ फॉर्मूले को जगह मिल सके। अगर तीन उपमुख्यमंत्री का विकल्प सबसे चर्चित विकल्प है। 2020 के चुनाव में राजद ने भी तीन उपमुख्यमंत्रियों की बात कही थी और 2025 के चुनाव में भी यही बात।
ऐसे में भाजपा जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ महिला एवं युवा कोटे को संतुलित करने के लिए तीन उपमुख्यमंत्री बना सकती है। इसमें एक पद महिला को देने की संभावना सबसे अधिक है, जो सीधे तौर पर पीएम मोदी के ’एमवाय’ फॉर्मूले को दर्शाएगा। जानकारों के अनुसार पीएम मोदी के जोर देने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री के पद पर एक महिला को जरूर रखा जाएगा। यह भी संभव है कि इस बार महिलाओं को कैबिनेट में अधिक प्रतिनिधित्व मिले। इससे न सिर्फ ‘एम’ फॉर्मूला मजबूत होगा, बल्कि नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक पर भी भाजपा अपनी पकड़ बना सकेगी।
वहीं, एनडीए युवा मतदाताओं को भी एक सकारात्मक संदेश देना चाहती है। इसलिए एक युवा चेहरे को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, जो तेजस्वी यादव की युवा छवि को टक्कर दे सके। ऐसे में उपमुख्यमंत्री के पद पर हमेशा की तरह दलित, पिछड़ा या अति पिछड़ा समुदाय से ही किसी एक चेहरे को जगह मिलने की संभावना है। वैसे अंतिम फैसला भाजपा और जदयू के शीर्ष नेतृत्व के बीच बैठक के बाद लिया जाएगा। लेकिन यह तय है कि नीतीश सरकार का अगला मंत्रिमंडल जातीय समीकरणों से ज्यादा पीएम मोदी के नए ‘एमवाय’ यानी ‘महिला-युवा’ फॉर्मूले पर ज्यादा ध्यान दिया जाये। बिहार की सियासत में यह एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।