लाइव न्यूज़ :

चीन के साथ जारी तनाव के बीच बेहद अहम है रोहतांग में बना अटल टनल, अब सालभर आसानी से पहुंचाया जा सकेगा सैनिकों को हथियार और अन्य सामान

By सुमित राय | Published: September 11, 2020 2:38 PM

रोहतांग को लेह सरहद से जोड़ने वाली अटल टनल से लद्दाख पूरे साल जुड़ा रहेगा और इससे अब सेना को हथियार और अन्य सामान आसानी से बॉर्डर पर पहुंचाया जा सकेगा।

Open in App
ठळक मुद्देपूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच अटल टनल बेहद खास है।अटल टनल की मदद से सेना को हथियार और अन्य सामान बॉर्डर पर पहुंचाया जा सकेगा।

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच अटल टनल बेहद खास है, जो बनकर तैयार हो गया है और इस महीने की 29 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन कर सकते हैं। रोहतांग को लेह सरहद से जोड़ने वाली इस टनल से अब लद्दाख पूरे साल जुड़ा रहेगा, जो पहले बर्फबारी के कारण संभव नहीं हो पाता था। समुद्र तल से 10 हजार फीट ऊंचाई पर बने दुनिया के सबसे लंबे टनल की मदद से अब सेना को हथियार और अन्य सामान के साथ राशन आसानी से बॉर्डर पर पहुंचाया जा सकेगा।

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में बनी इस रणनीतिक सुरंग का नाम केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा था। यह सुरंग तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर विश्व की सबसे लंबी सुरंग होगी और इससे मनाली तथा लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

अटल टनल समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बना दुनिया का सबसे लंबा टनल है। (फाइल फोटो)" title="अटल टनल समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बना दुनिया का सबसे लंबा टनल है। (फाइल फोटो)"/>
अटल टनल समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बना दुनिया का सबसे लंबा टनल है। (फाइल फोटो)

1860 मोरावियन मिशन ने रखा था सुरंग बनाने का विचार

सुरंग का डिजाइन तैयार करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्नोई माउंटेन इंजीनियरिंग कंपनी (एसएमईसी) के वेबसाइट के मुताबिक रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था। समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 1458 करोड़ रुपये की लगात से बनी दुनिया की यह सबसे लंबी सुरंग लद्दाख के हिस्से को साल भर संपर्क सुविधा प्रदान करेगी।

जवाहरलाल नेहरु के कार्यकाल में रोप वे का प्रस्ताव

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर 'रोप वे' बनाने का प्रस्ताव आया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मनाली और लेह के बीच सालभर कनेक्टिविटी देने वाली सड़क के निर्माण की परियोजना बनी। लेकिन इस परियोजना को मूर्त रूप प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला।

यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। (फाइल फोटो)

जून 2000 में लिया गया था सुरंग बनाने का फैसला

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्‍व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। 15 अक्‍टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा कर लिया गया था।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में की थी सुरंग की घोषणा

अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की। बाद में वर्ष 2019 में वाजपेयी के नाम पर ही इस सुरंग का नाम 'अटल टनल' रखा गया। सीमा सड़क संगठन ने वर्ष 2009 में शापूरजी पोलोनजी समूह की कंपनी एफकॉन्स और ऑस्ट्रिया की कंपनी स्टारबैग के संयुक्त उपक्रम को इसके निर्माण का ठेका दिया और इसके निमार्ण कार्य में एक दशक से अधिक वक्त लगा।

सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। (फाइल फोटो)

8.8 किलोमीटर है सुरंग की लंबाई

पूर्वी पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला में बनी यह 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग लेह- मनाली राजमार्ग पर है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है। सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी और यात्रा समय भी चार से पांच घंटा कम हो जाएगा।

टनल से मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी। (फाइल फोटो)

सेरी नाला से पानी के रिसाव के कारण निर्माण में हुई देरी

टनल निर्माण पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2014 रखा गया था, लेकिन टनल निर्माण के दौरान 410 मीटर सेरी नाला के पास पानी के रिसाव के कारण निर्माण कार्य में देरी हुई। यहां हर सेकेंड 125 लीटर से अधिक पानी निकालता है जिससे यहां काम करना बहुत मुश्किल था। इस रिसाव को रोकने में बीआरओ के इंजीनियर और मजदूरों को करीब तीन साल का समय लग गया। नतीजा यह रहा कि टनल निर्माण में छह साल का अतिरिक्त समय लग गया।

टॅग्स :अटल टनललद्दाखचीन
Open in App

संबंधित खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: उमर अब्दुल्ला ने बारामूला लोकसभा सीट से भरा पर्चा, कहा- 10 साल बाद आज अपना नामांकन पत्र दाखिल किया

विश्वGuangdong Highway collapse: राजमार्ग का 17.9 मीटर लंबा हिस्सा ढहा, गहरे गड्ढे में 18 कारें गिरीं, 24 की मौत, 30 अस्पताल में भर्ती

कारोबारBinance चीफ चांगपेंग झाओ को 4 महीने का कारावास, बने दुनिया के सबसे अमीर कैदी

विश्वChina Covid-19: विरोध प्रदर्शन का असर, प्रयोगशाला में लौटे वैज्ञानिक झांग योंगझेन, चीन कैसे कोविड-19 वायरस से जुड़ी जानकारियों को नियंत्रित कर रहा!

विश्वChina Covid-19: धरना पर चीनी वैज्ञानिक झांग योंगझेन, आखिर कोविड वायरस से क्या है संबंध, जानें सबकुछ

भारत अधिक खबरें

भारतNarendra Modi In Surendranagar: 'रॉन्ग डिलिवरी वाली पार्टी है', कांग्रेस पर पीएम मोदी बोले

भारतLok Sabha Election 2024: बृजभूषण शरण सिंह शरण सिंह का टिकट कटा! जानिए BJP किसे बना सकती है कैसरगंज से उम्मीदवार

भारतLok Sabha Elections 2024: "बिहार में कोई चुनाव नहीं है, भाजपा गठबंधन सभी 40 सीटें जीत रही हैं", सारण से नामांकन दाखिल करने के बाद राजीव प्रताप रूडी ने कहा

भारतLok Sabha Election 2024: तीसरे चरण के चुनाव में सिर्फ इतनी महिला उम्मीदवार, जानिए कुल संख्या

भारतLG ने दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारियों को किया बर्खास्त, स्वाति मालीवाल ने इसे बताया 'तुगलकी आदेश', ट्वीट कर कहा ये