नई दिल्ली: चुनाव के मौसम में आरोपों और प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों महाराष्ट्र में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान उद्धव ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का नेता बता दिया था। फिर विवाद ने तूल पकड़ा और अब यूबीटी प्रमुख उद्ध ठाकरे ने कह दिया कि भाजपा राज्य सरकारों को गिराने के लिए 'पॉवर जिहाद' का सहारा लेती है। इतनी ही नहीं उन्होंने केंद्रीय मंत्री को अहमद शाह अब्दाली का वंशज भी बता दिया, जिसने पानीपत की लड़ाई में अफगानियों का नेतृत्व करते हुए मराठाओं को हराया था।
ऐसे में जवाब तो केंद्र की ओर से मिलना था, तो इस बार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मैदान में उतरे और उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस की स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं।
ऐसा करके वो सीधे बाला साहेब ठाकरे की आत्मा को चोट पहुंचा रहे और साथ में हिंदू समुदाय को हर्ट कर रहें। उन्होंने आगे कहा कि जो देश का दुश्मन है, वो अमित शाह का भी दुश्मन है।
ठाकरे ने 'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन' योजना को लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर भी निशाना साधा और उस पर "रेवड़ी" (मुफ्त उपहार) देकर मतदाताओं को रिश्वत देने का आरोप लगाया।
यूबीटी प्रमुख के अनुसार, "अगर मुस्लिमों को अपना हिंदुत्व समझाने के बाद भी वे हमारे साथ हैं, तो हम (भाजपा के अनुसार) औरंगजेब फैन क्लब हैं। फिर आप जो कर रहे हैं वह सत्ता जिहाद है।"
अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को लिया था आड़े हाथ21 जुलाई को, अमित शाह ने महाराष्ट्र के पुणे में भाजपा के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को "औरंगजेब फैन क्लब" कहा था और आरोप लगाया था कि ठाकरे इसके नेता थे। "महा विकास अघाड़ी औरंगजेब फैन क्लब है। यह औरंगजेब फैन क्लब भारत की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता। उद्धव ठाकरे इस औरंगजेब फैन क्लब के नेता हैं। यह फैन क्लब महाराष्ट्र और भारत को सुरक्षित नहीं बना सकता है। यह केवल भाजपा है जो सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।"
उद्धव ठाकरे कसाब से जुड़े लोगों के साथ अपना भोजन साझा करते हैं, वह पीएफआई का समर्थन करते हैं और औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करने के खिलाफ हैं। यह पहली बार नहीं था जब शाह ने सार्वजनिक रूप से शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख पर हमला किया हो। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ठाकरे पर सत्ता के लिए विचारधारा छोड़ने का आरोप लगाया।
जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में विद्रोह के कारण उनकी सरकार गिरने के बाद उद्धव ठाकरे को अनौपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। फरवरी 2023 में, भारत के चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी।