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अमरनाथ यात्रा का मामला सुलझा, पेंच अड़ा, 15 जून को श्रीनगर में पूरा दरबार लगने की उम्मीद कम

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 6, 2020 16:39 IST

धारा 370 को हटा दिए जाने और जम्मू कश्मीर को दो टुकड़ों में बांटने की कवायद के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद भी दो राजधानियों का दस्तूर बरकरार है। जिसे दरबार मूव कहा जाता है। इसके तहत गर्मियों में नागरिक सचिवालय श्रीनगर चला जाता है और सर्दियों में जम्मू आ जाता है।

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ठळक मुद्देकश्मीर संभाग में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए दरबार मूव पर 15 जून के बाद भी यथास्थिति बरकरार रहना तय माना जा रहा है।उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू द्वारा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए जाने की संभावना नजर आ रही है।

जम्मूः कोरोना के कारण उलझा हुआ अमरनाथ यात्रा का मामला सुलझ गया है पर वार्षिक ‘दरबार मूव’ का पेंच अड़ गया है। दरअसल इस बार नागरिक सचिवालय जम्मू तथा श्रीनगर में दो जगहों से काम कर रहा है और कोरोना के बढ़ते खतरे के बाद सचिवालय कर्मी मांग कर रहे हैं कि जो जहां काम कर रहा है वहीं उसे काम करने दिया जाए। ऐसे में इस बार 15 जून को श्रीनगर में पूरा दरबार लगने की उम्मीद कम हो गई है।

जानकारी के लिए धारा 370 को हटा दिए जाने और जम्मू कश्मीर को दो टुकड़ों में बांटने की कवायद के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद भी दो राजधानियों का दस्तूर बरकरार है। जिसे दरबार मूव कहा जाता है। इसके तहत गर्मियों में नागरिक सचिवालय श्रीनगर चला जाता है और सर्दियों में जम्मू आ जाता है।

और अब कश्मीर संभाग में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए दरबार मूव पर 15 जून के बाद भी यथास्थिति बरकरार रहना तय माना जा रहा है। इस संबंध में उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू द्वारा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए जाने की संभावना नजर आ रही है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जम्मू सचिवालय व दरबार के अन्य कार्यालयों में काम कर रहे कर्मचारी भी यथास्थिति के पक्ष में हैं और प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव भी बना चुके हैं।

अधिकारियों की स्थिति भी ऐसी ही है। वह भी नहीं चाहते कि वर्तमान हालात में उन्हें काम के लिए जम्मू से कश्मीर भेजा जाए। इस संबंध में प्रदेश सरकार अगले सप्ताह कोई फैसला ले सकती है। उल्लेखनीय है कि, साल 2020 के मई माह में दरबार जम्मू से श्रीनगर शिफ्ट नहीं हुआ था।

हालांकि, कश्मीर आधारित कर्मचारियों को यह विकल्प दिया गया था, कि वह कश्मीर से काम करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे में ज्यादातर कश्मीर आधारित दरबार के कर्मचारी चार मई से श्रीनगर स्थित सचिवालय से कामकाज संभाल रहे हैं। जम्मू के कर्मचारी जम्मू सचिवालय से काम कर रहे हैं और चाहते हैं कि इस साल यही स्थिति बहाल रहे ताकि कोरोना संक्रमण से कर्मचारियों का बचाव हो सके।

इस मांग को लेकर कोरोना महामारी के बीच दरबार मूव के साथ कर्मियों को ग्रीष्मकालीन राजधानी में शिफ्ट करने की तैयारी के खिलाफ सचिवालय परिसर में कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी किया है। नागरिक सचिवालय जम्मू परिसर में नान गजटेड कर्मचारियों ने जो जहां है, वहीं से काम करे की व्यवस्था देने की मांग की थी।

कर्मचारियों ने कहा है कि वर्तमान में यहां के कर्मचारियों को कश्मीर ले जाने का मतलब कर्मियों को कोरोना संक्रमण की जद में डालना होगा। दरअसल इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में पहली बार दरबार मूव की व्यवस्था में बदलाव हुआ है। 15 जून तक जो कर्मचारी कश्मीर में हैं वह कश्मीर से ही व जम्मू के कर्मचारी जम्मू से काम कर रहे हैं। 15 जून के आसपास सरकार इस व्यवस्था की समीक्षा करने वाली है। ऐसे में कर्मचारियों ने सरकार पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है जिससे यही लगता है कि इस बार शायद ही पूरा दरबार कश्मीर में खुल सके।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरअमरनाथ यात्रागिरीश चंद्र मुर्मूआर्टिकल 35A (अनुच्छेद 35A)धारा ३७०गृह मंत्रालयनरेंद्र मोदीसंसद
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