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Aircel-Maxis Case: ईडी की याचिका पर कोर्ट ने पी चिदंबरम के बेटे से मांगा जवाब 

By भाषा | Updated: September 10, 2018 21:10 IST

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने कार्ति से प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा। ईडी ने आरोप लगाया है कि दस्तावेजों से सामना कराए जाने पर कार्ति गुस्सा हो जाते हैं।

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नई दिल्ली, 10 सितंबरः दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को एयरसेल-मैक्सिस धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एक याचिका पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम से जवाब मांगा। याचिका में एजेंसी ने कार्ति को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत को निरस्त करने की मांग की है ताकि उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सके। 

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने कार्ति से प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर 18 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा। ईडी ने आरोप लगाया है कि दस्तावेजों से सामना कराए जाने पर कार्ति गुस्सा हो जाते हैं।

जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि 24 मार्च 2018 को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिये जाने के वक्त यह शर्त लगाई गई थी कि कार्ति को जब भी निर्देश दिया जाएगा वह जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगे और जांच में शामिल होंगे। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने उन शर्तों का उल्लंघन किया।

एजेंसी की तरफ से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने आरोप लगाया कि कार्ति जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। यह उन शर्तों में से एक है जो उन्हें अंतरिम राहत दिये जाने के दौरान लगाई गई थी।

एजेंसी ने अधिवक्ता एन के माटा और नीतेश राणा के जरिये दायर आवेदन में अदालत से कहा, ‘‘एफडीआई मंजूरी के संबंध में जांच चल रही है। आरोपी ने जानबूझकर जून 2016 से उसे जारी सम्मन की अनदेखी की। इसका एकमात्र उद्देश्य कार्यवाही को पटरी से उतारना है।’’ 

एजेंसी ने यह भी कहा कि कार्ति मामले में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा पूछताछ किये जाने के दौरान कभी-कभार गुस्सा हो जाते हैं। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत ने कार्ति की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अर्शदीप सिंह से पूछा कि उनके मुवक्किल जांच में क्यों शामिल नहीं हो रहे हैं। 

अधिवक्ता ने कहा कि कार्ति उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किये जाने से पहले विभिन्न मौकों पर जांच में शामिल हुए हैं। अधिवक्ता ने याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिये वक्त मांगते हुए कहा, ‘‘मैं (कार्ति) भाग नहीं रहा हूं। मैंने आरोप पत्र की प्रति मांगी, लेकिन वे जवाब नहीं दे रहे हैं।’’ ईडी ने अपनी याचिका में कहा कि जांच के दौरान भी कार्ति चुप रहे या अपने वकीलों से सलाह-मशविरा करने के बाद जवाब दिया।

ईडी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मामले की जांच छह महीने यानि 12 सितंबर तक पूरी करने का निर्देश दिया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आरोपी के कदम और कुछ नहीं बल्कि टाल-मटोल करने वाले हथकंडे हैं ताकि समय-सीमा के भीतर जांच पूरी नहीं हो सके।

इससे पहले सात अगस्त को दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति को सीबीआई तथा ईडी द्वारा दर्ज एयरसेल-मैक्सिस मामलों में गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम राहत आठ अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दी थी।

सीबीआई ने 19 जुलाई को जो आरोप पत्र दायर किया था उसमें पी.चिदंबरम और उनके बेटे का नाम है। एयरसेल-मैक्सिस मामले में ईडी भी धन शोधन के एक अलग मामले की जांच कर रही है। एजेंसी ने 13 जुलाई को कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था।

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