नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की अगली बैठक अगले महीने वाली है। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) इस दौरान तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं सरकार के सामने रखने वाली है।
इन तीन परियोजनाओं में 97 एलसीए तेजस मार्क1-ए और 66 हेलिकॉप्टर्स की खरीद शामिल है। साथ ही भारतीय वायुसेना फ्रांस से आए 36 राफेल के अलावा 84 सुखोई-30 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने पर विचार कर रही है। सुखोई-30 एमकेआई वायुसेना के पास सबसे आधुनिक युद्धक विमान हैं। तीनों परियोजनाएं कई अरब डॉलर की हैं।
बता दें कि भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों के लगभग 32 स्क्वाड्रन हैं। ये चीन तथा पाकिस्तान की दोहरी चुनौती को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। 2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर पूरी तरह रोक लगाने की भी योजना है। इसे देखते हुए तेजस विमानों के स्क्वाड्रन की सख्त जरूरत है।
वायुसेना ने पहले ही 83 एलसीए मार्क 1ए के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अब 97 अतिरिक्त विमानों के साथ उस अनुबंध को आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। इससे वायुसेना में कुल 180 एलसीए मार्क 1ए हो जाएंगे। 2025 तक मिग-21 के स्कवाड्रन को एलसीए मार्क 1ए से बदल दिया जाएगा। सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि भविष्य में भारत को दोहरे मोर्चे पर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वायुसेना को पास आधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों का बड़ा बेड़ा हो। अगर सब कुछ योजना अनुसार चला तो अगले 15 वर्षों में भारतीय वायुसेना के पास 40 एलसीए, 180 से ज्यादा एलसीए मार्क-1A और 120 एलसीए मार्क-2 फाइटर प्लेन होंगे।
भारतीय वायुसेना के पास लगभग 270 सुखोई हैं। इनमें से एक बड़े हिस्से को वायुसेना अपग्रेड करना चाहती है ताकि इनकी उम्र 20 साल बढ़ सके। वहीं 66 हेलीकॉप्टर स्वदेशी हैं और 156 हेलीकॉप्टरों के पैकेज का हिस्सा हैं। इनमें से 90 भारतीय सेना को मिलने हैं।