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तमिलनाडु: AIADMK सरकार को हाई कोर्ट ने दी बड़ी राहत, 18 बागी विधायक 'अयोग्य' करार, 20 सीटों पर होंगे उपचुनाव

By भारती द्विवेदी | Updated: October 25, 2018 15:29 IST

AIADMK 18 MLAs Verdict Live Update: इस पूरे मामले जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम सुंदर की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसला सुनाया था।

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मद्रास हाई कोर्ट ने एआईएडीएमके के 18 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के तमिलनाडु विधान सभा के सभापति के फैसले को बरकरार रखा है। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एम सत्यनारायण ने 18 विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसला सुनाया। इससे पहले इस पूरे मामले जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम सुंदर की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसला सुनाया था। 

तमिलनाडु में सत्ताधारी एआईएडीएमके ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। वहीं बागी विधायकों के नेता टीटीवी दिनाकरन ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो इससे निराश नहीं हैं। उन्हें इससे झटका नहीं लगा है बल्कि ये एक तजुर्बा है और वो इस स्थिति का सामना करेंगे।

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमकी की प्रमुख जयललिता के निधन के बाद उनकी पार्टी दो फाड़ में बँट गयी। ई पलानीस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने। पलानीस्वामी को पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम का भी समर्थन हासिल है। पनीरसेल्वम इस समय राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं। 

लेकिन टीटीवी दिनाकरन के नेतृत्व में 18 विधायकों ने बगावत कर दी थी। तमिलनाडु विधान सभा के स्पीकर पी धनपाल ने विश्वास मत परीक्षण के दौरान सभी बागी विधायकों को मतदान के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। 

तमिलनाडु की 234 सदस्यों वाली विधान सभा में इस समय कुल 216 विधायक हैं। विधान सभा के अध्यक्ष समेत विपक्ष के पास कुल 98 विधायकों का समर्थन है। दो सीटें विधायकों के निधन की वजह से खाली हो गई हैं। इनमें से एक सीट एम करुणानिधि के निधन से खाली हुई थी। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद तमिलनाडु की 20 विधान सभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने होंगे। 

टीटीवी दिनाकरन तमिलनाडु की आरके नगर विधान सभा सीट से विधायक हैं। यह सीट जयललिता के निधन के बाद खाली हुई थी। दिनाकरन शशिकला नटराजन के भतीजे हैं। नटराजन जयललिता की जगह एआईएडीएमके की महासचिव बनी थीं लेकिन बाद में उन्हें पद से हटा दिया गया।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को बहाल कर दिया था। वहीं, दूसरे जस्टिस सुंदर ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ फैसला सुनाया था।

इस फैसले से असहमत विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और संजय किशन कौल ने मामले की सुनवाई की और केस सुप्रीम कोर्ट को ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस एम सत्यनारायण को नियुक्त किया था। जस्टिस एम सत्यनारायण ने इस पूरे मामले पर 12 दिन तक दोनों पक्षों की सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें कि पिछले साल अगस्त में तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष ने 18 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। इन सभी विधायकों को अन्नाद्रमुक के बागी नेता टीटीवी दिनाकरण के साथ वफादारी निभाने पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अध्यक्ष द्वारा अयोग्य घोषित करने के बाद 18 विधायकों ने मद्रास हाईकोर्ट का रूख किया था।

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