Aero India Show Inaugural Ceremony: कर्नाटक के बेंगलुरु में पांच दिवसीय कार्यक्रम एयरो इंडिया-2025 शुरू हो गया। 'भारत की सिलिकॉन वैली' ट्रैफिक जाम के लिए फेमस है। अपने यातायात के लिए काफी प्रसिद्ध है और भारत के सबसे भीड़भाड़ वाले शहर में शीर्ष स्थान पर है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 15 जर्मन पायलट येलहंका वायु सेना स्टेशन पर एयरो इंडिया 2025 के उद्घाटन समारोह के रास्ते में फंसे गए। एयरो इंडिया स्थल से 17 किमी दूर है। 3 घंटे में 17 किमी की दूरी तय किए। पंद्रह जर्मन पायलटों का एक समूह बेंगलुरु यातायात में फंस गया।
टीम को 10 फरवरी को येलहंका वायु सेना स्टेशन में एयरो इंडिया 2025 के उद्घाटन समारोह में भाग लेना था। उद्घाटन में विमान प्रदर्शन और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संबोधन शामिल था। पायलट A330 यात्री विमान से शहर पहुंचे। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यक्रम स्थल के लिए एक निजी टैक्सी लेकर वे सुबह 8 बजे निकले और 11 बजे के बाद पहुंचे।
A330 यात्री विमान में सवार होकर आए पायलट सुबह 8 बजे के आसपास एक निजी कैब में कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए, लेकिन 11 बजे के बाद पहुंचे। एक जर्मन पायलट ने कहा कि कार्यस्थल पर पहुंचने तक यातायात प्रवाह सुचारू था, लेकिन प्रवेश बिंदु पर हम लगभग डेढ़ घंटे तक फंसे रहे। मजाक में कहा कि कल ही स्थानीय गाइड पर चर्चा कर रहे थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवोन्मेषी दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की जरूरत है। एयरो इंडिया 2025 के तहत आयोजित रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि कमजोर रहकर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और शांति सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
सिंह ने कहा, ‘‘आज, संघर्षों की बढ़ती संख्या हमारे विश्व को और अधिक अप्रत्याशित स्थान बना रही है। वर्चस्व की नयी लड़ाई, हथियार निर्माण के नए तरीके एवं साधन, सरकार से इतर तत्वों की बढ़ती भूमिकाएं तथा विघटनकारी प्रौद्योगिकियों ने विश्व व्यवस्था को और अधिक नाजुक बना दिया है।’’ उन्होंने कहा कि साथ ही, सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच का अंतर कम होता जा रहा है।
क्योंकि ‘हाइब्रिड’ युद्ध (युद्ध का अपारंपरिक तरीका, जिसमें किसी विरोधी देश की सरकार को अस्थिर करने और कमजोर करने के लिए कूटनीति, राजनीति, मीडिया, साइबरस्पेस और सैन्य बल का प्रयोग किया जाता है) शांति काल में भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को निशाना बना सकता है। सिंह ने कहा, ‘‘आज अग्रिम मोर्चे की परिभाषा तेजी से बदल रही है।
इसके अलावा, साइबरस्पेस और बाहरी अंतरिक्ष के आयाम संप्रभुता की स्थापित परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवीन दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है। वैश्विक मंच पर भारत की भागीदारी सभी के लिए सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।’’