नई दिल्ली, 26 सितंबरः पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। जिसका असर रोजमर्रा की अन्य चीज़ों पर महंगाई के रूप में देखा जा रहा है। इससे निपटने के लिए उत्तर भारत के पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों ने बैठक की। इस बैठक में पेट्रोल और डीजल पर वैट की दरों में एकरूपता लाने पर चर्चा की गई।
इस बैठक में हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हुए। इनके अलावा उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में इस बात पर भी सहमती बनी की इन राज्यों में आबकारी नीति, ट्रांसपोर्ट परमिट और गाड़ियों के पंजीकरण से जुड़े करों में भी एकरूपता लाई जाए।
इन राज्यों के अधिकारी 15 दिनों में एक रिपोर्ट तैयार करेंगे जिसमें तेल पर लगने वाले वैट पर फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा बैठक में आबकारी से जुड़े सामान पर भी वैट में एकरूपता का सुझाव दिया गया। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसा होने से जहां एक ओर जनता को लाभ होगा, वहीं कालाबाजारी पर भी रोक लगेगी। इससे सरकारों के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
2015 में इन प्रदेशों ने मिलकर वैट की दरें समान करके जनता को राहत दी थी। माना जा रहा है कि इस बैठक के नतीजे भी जनता के लिए राहत साबित होंगे। फिलहाल दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पेट्रोल पर करीब 27 फीसद और डीजल पर 17 फीसद की दर से वैट लगाया जाता है। अगर दोनों पर रेट 3-4 पर्सेंट तक घटे तो कीमतें 2 रुपये तक कम हो जाएंगी।