लाइव न्यूज़ :

Covid 19 plasma therapy: ICMR ने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को बताया अनुचित, जानिये क्यों

By उस्मान | Published: November 18, 2020 5:18 PM

जानिये कोरोना वायरस के इलाज में क्यों असफल हो गई यह टेक्निक

Open in App
ठळक मुद्देकोविड-19 रोगियों के उपचार में प्लाज्मा पद्धति का अंधाधुंध इस्तेमाल उचित नहीं कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम सक्षम नहीं

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने परामर्श जारी कर कहा है कि कोविड-19 रोगियों के उपचार में प्लाज्मा पद्धति का अंधाधुंध इस्तेमाल उचित नहीं है। इस पद्धति में महामारी को मात देकर ठीक हुए रोगियों के प्लाज्मा का इस्तेमाल दूसरे रोगियों के उपचार में किया जाता है।

इस बीच, भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 89 लाख के पार चली गई है। देश की शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान इकाई ने प्लाज्मा पद्धति के अनुचित इस्तेमाल को लेकर साक्ष्य आधारित परामर्श में कहा है कि प्लाज्मा दान करने वाले व्यक्ति के शरीर में कोविड-19 के खिलाफ काम करने वाली एंटीबॉडीज का पर्याप्त सांद्रण होना चाहिए।

चिकित्सकीय परिणामों में सुधार, बीमारी की गंभीरता, अस्पताल में रहने की अवधि और मृत्युदर में कमी प्लाज्मा में विशिष्ट एंटीबॉडीज की सांद्रता पर निर्भर करती है जो सार्स-कोव-2 के प्रभावों को खत्म कर सकती हैं। इस पद्धति का इस्तेमाल पूर्व में एच1एन1, इबोला और सार्स-कोव-1 जैसे विषाणु संक्रमण के उपचार में किया जा चुका है।

मृत्यु दर को कम नहीं करती प्लाज्मा थेरेपी

आईसीएमआर ने हाल में 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में एक अध्ययन के बाद कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम करने में प्लाज्मा पद्धति कोई खास कारगर साबित नहीं हो रही है।

परामर्श में कहा गया है कि इसी तरह के अध्ययन चीन और नीदरलैंड में किए गए जिनमें इस पद्धति का कोई खास लाभ नजर नहीं आया। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के रोगियों के उपचार में प्लाज्मा पद्धति का अंधाधुंध इस्तेमाल उचित नहीं है।

कहा जाता है कि कोविड-19 रोगियों के उपचार में सार्स-कोव-2 के खिलाफ कम सांद्रता वाली विशिष्ट एंटीबॉडीज अधिक सांद्रता वाली एंटीबॉडीज की तुलना में कम लाभकारी हो सकती हैं। परामर्श में कहा गया है कि इसलिए प्लाज्मा के संभावित दानदाता के शरीर में कोविड-19 के खिलाफ काम करने वाले एंटीबॉडीज में पर्याप्त सांद्रता होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि इस पद्धति का इस्तेमाल विशिष्ट मानक पूरा होने पर आईसीएमआर के परामर्श के अनुसार ही होना चाहिए।  

प्लाज्मा ट्रीटमेंट क्या है  

इन परीक्षण में कोविड-19 की चपेट से बाहर आए मरीजों के रक्त से प्लाज्मा निकालकर बीमार रोगियों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। उन लोगों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद हैं जो वायरस को दूर भगाते हैं। उनका उपयोग दूसरे रोगी के लिए भी किया जा सकता है। शोधों से पता चलता है कि यह संक्रमित की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने माना था कारगर इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस थेरेपी को बेहतर माना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग एक 'बहुत ही मान्य' दृष्टिकोण है, लेकिन परिणाम को अधिकतम करने के लिए समय महत्वपूर्ण है। यह थेरेपी रेबीज और डिप्थीरिया जैसे इन्फेक्शन के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है।

कोरोना के किन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है?

डॉक्टर ने बताया कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है उनके लिए भी दिशा-निर्देश हैं। सामान्य तौर पर वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित और श्वसन संक्रमण से पीड़ित मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

टॅग्स :कोरोना वायरसप्लाज्मा थेरेपीकोविड-19 इंडियाहेल्थ टिप्स
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यब्लॉग: अचानक होने वाली मौतों का कोविड वैक्सीन से नहीं है संबंध

स्वास्थ्यHeart Health In Winters: सर्दियों के मौसम में कही आपका दिल न दे जाए धोखा, ऐसे रखें हार्ट हेल्थ का ख्याल नहीं होगी समस्याएं

भारतचीन में बढ़ते निमोनिया मामलों ने भारत की बढ़ाई चिंता, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों को गाइडलाइन जारी की

स्वास्थ्यAnti-Pollution Diet: प्रदूषण से कही खराब न हो जाए आपके फेफड़े, अपने आहार में शामिल करें ये चीजें

स्वास्थ्यICMR: कोविड टीकों से युवाओं में नहीं बढ़ा अचानक मृत्यु का जोखिम, हो सकते हैं अन्य कारक

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यChina Pneumonia: चीन में तेजी से फैल रहे रहस्यमय निमोनिया होने पर दिखते हैं ऐसे लक्षण, जानें बचाव का तरीका

स्वास्थ्यWorld AIDS Day 2023: बढ़ रही हैं एड्स के कारगर इलाज की उम्मीदें, जानें क्या है ‘लेट कम्युनिटी लीड’

स्वास्थ्यब्लॉग: खाद्य पदार्थों में मिलावट पर लग पाएगी रोक ?

स्वास्थ्यWorld AIDS Day 2023: दुनिया में लगभग आठ करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित, यौन रोग विशेषज्ञ डॉ दिनेश माथुर ने कहा- चार करोड़ से ज्यादा काल कवलित!

स्वास्थ्यWorld AIDS Day 2023: लोगों में अब भी बसा हुआ डर!, असुरक्षित यौन संबंध और आईवी ड्रग्स में नीडल, सिरिंज शेयरिंग मुख्य वजह, जानें हर जानकारी