World AIDS Day 2023: बढ़ रही हैं एड्स के कारगर इलाज की उम्मीदें, जानें क्या है ‘लेट कम्युनिटी लीड’
By योगेश कुमार गोयल | Published: December 1, 2023 12:24 PM2023-12-01T12:24:15+5:302023-12-01T12:25:36+5:30
World AIDS Day 2023: एक दिसंबर को एक विशेष थीम के साथ ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है, जो इस साल ‘लेट कम्युनिटी लीड’ विषय के साथ मनाया जा रहा है.
World AIDS Day 2023: एचआईवी संक्रमितों के लिए समर्थन दिखाने, एड्स रोगियों को साहस देने तथा सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और हर उम्र के लोगों के बीच एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष एक दिसंबर को एक विशेष थीम के साथ ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है, जो इस साल ‘लेट कम्युनिटी लीड’ विषय के साथ मनाया जा रहा है.
यूएनएड्स के मुताबिक इसका अर्थ है कि यह समुदायों को उनकी नेतृत्व करने की भूमिकाओं में सक्षम बनाने और उनका समर्थन करने के लिए कार्रवाई का आह्वान है. विश्व एड्स दिवस 2023 का उद्देश्य यही है कि एड्स को समाप्त करने के लिए सामुदायिक नेतृत्व की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाए.
यह दिवस मनाए जाने की कल्पना पहली बार अगस्त 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन जेनेवा तथा स्विट्जरलैंड के ‘एड्स ग्लोबल कार्यक्रम’ के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी. उन्होंने ‘एड्स दिवस’ का अपना विचार ‘एड्स ग्लोबल कार्यक्रम’ के निदेशक डाॅ. जोनाथन मान के साथ साझा किया था.
डाॅ. मान द्वारा दोनों के उस विचार को स्वीकृति दिए जाने के बाद 1 दिसंबर 1988 से इसी दिन ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाए जाने का निर्णय लिया गया. 1990 के दशक तक इस बीमारी को लेकर लोगों में दहशत देखने को मिलती थी किंतु एड्स को लेकर फैली भ्रांतियों को लेकर सरकारों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा चलाए गए अभियान का बड़ा असर रहा कि जहां अब इस बीमारी को लेकर लोगों में पहले की भांति दहशत व्याप्त नहीं दिखती, वहीं एड्स के मरीजों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है.
भारत में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के सतत प्रयासों के चलते एचआईवी संक्रमण की रोकथाम के उपायों का असर संक्रमण दर और एड्स से मौतें घटने के रूप में स्पष्ट दिखा है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ‘यूएनएड्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2010 से अब तक एचआईवी संक्रमण की दर में 42 फीसदी से कुछ अधिक कमी आई है.
जबकि 2010 के बाद से एड्स के कारण कुल मृत्यु दर में भी करीब 77 प्रतिशत की गिरावट आई है. फिर भी भारत सहित दुनियाभर में एड्स के प्रसार के कारणों में आज भी स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता एवं जिम्मेदारी का अभाव, अशिक्षा, निर्धनता, अज्ञानता और बेरोजगारी प्रमुख कारण हैं.