World AIDS Day 2023: लोगों में अब भी बसा हुआ डर!, असुरक्षित यौन संबंध और आईवी ड्रग्स में नीडल, सिरिंज शेयरिंग मुख्य वजह, जानें हर जानकारी
By सैयद मोबीन | Published: December 1, 2023 06:33 AM2023-12-01T06:33:20+5:302023-12-01T06:33:20+5:30
World AIDS Day 2023: संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी तायडे ने बताया कि 90 के दशक में एड्स के मामले ज्यादा उम्र वाले लोगों में पाए जाते थे लेकिन अब 20 से 40 साल के युवाओं में भी एड्स के मरीज पाए जा रहे हैं.
World AIDS Day 2023: एड्स के प्रति लोगों में अब भी एक अलग तरह का डर बसा हुआ है लेकिन एड्स का समय पर निदान और सही उपचार हुआ तो इसे फैलने से रोका जा सकता है. लोगों को इसके प्रति सजग होने की जरूरत है क्योंकि वर्तमान में युवाओं में एड्स के बढ़ते मामले चिंता का विषय है.
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी तायडे ने बताया कि 90 के दशक में एड्स के मामले ज्यादा उम्र वाले लोगों में पाए जाते थे लेकिन अब 20 से 40 साल के युवाओं में भी एड्स के मरीज पाए जा रहे हैं. हालांकि 90 के दशक की तुलना में फिलहाल मरीजों में कमी आई है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह संख्या स्थिर बनी हुई है. एड्स फैलने की मुख्य वजह असुरक्षित यौन संबंध और आईवी ड्रग्स लेते समय नीडल या सिरिंज की शेयरिंग है.
अब रोजाना केवल 1 गोली ही लेनी पड़ती है...
वर्तमान में एड्स के उपचार में नवीनता आई है. पहले शुरुआत में जहां रोजाना कई गोलियां लेनी पड़ती थीं, अब केवल एक गोली ही लेनी पड़ रही है. पहले किडनी या हड्डियों पर दवाइयों के दुष्परिणाम और ड्रग्स फेल्युअर का जोखिम ज्यादा रहता था, जिसमें अब कमी आई है. नई दवाइयों का जेनेटिक रेसिस्टंस भी अच्छा है.
विदेशों में तो अब इंजेक्टेबल मेडिसिन भी उपलब्ध हो गई है लेकिन यह काफी महंगी होने से फिलहाल भारत में यह उपलब्ध नहीं है. पांच वर्ष बाद यहां भी यह दवाई उपलब्ध होने की उम्मीद है, जिसके रोजाना दवाई लेने के बजाय महीने या दो महीने में एक बार इंजेक्शन लेने से काम चल जाएगा.
भारत में एचआईवी वैक्सीन पर भी काम चल रहा है, जिसका 70 प्रतिशत प्रभाव देखा गया है, उम्मीद है जल्द ही इसकी ट्रायल प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. एक बार एड्स का वायरस शरीर में चला गया तो यह बाहर नहीं निकलता है.
इसलिए वैक्सीन बन भी जाती है तो यह एचआईवी पॉजीटिव मरीजों के लिए नहीं होगी बल्कि यह वैक्सीन एचआईवी निगेटिव लोगों के लिए रहेगी. यह उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी जिन्हें एड्स होने की आशंका है या जिनका पार्टनर पॉजीटिव है.
एड्स संक्रमित पैरेंट्स भी कर सकते हैं बच्चे की प्लानिंग
एड्स मुख्य रूप से यौन संबंध, मां से बच्चे में और आईवी ड्रग्स एवं रक्त उत्पादों के माध्यम से फैलता है. सरकार द्वारा रक्त उत्पादों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) अनिवार्य किए जाने से इससे संक्रमण की आशंका तो कम हो गई है. फिलहाल आईवी ड्रग्स लेते समय नीडल या सिरिंज शेयरिंग से बचने की जरूरत है.
यदि मां एचआईवी पॉजीटिव है, तो उसका सही ट्रीटमेंट करके बच्चे को एड्स संक्रमित होने से बचाया जा सकता है. इसके लिए गर्भवती महिलाओं को टेस्ट जरूर करानी चाहिए. यौन संबंध के समय कंडोम का उपयोग और नियमित जांच करानी जरूरी है.
क्लेमेडिया, गोनोकोकल, सिफिलिस जैसे यौन संबंध से फैलने वाले रोग (एसटीडी) का समय पर निदान व उपचार करके भी एड्स के जोखिम को कम किया जा सकता है. यदि माता या पिता एचआईवी पॉजीटिव है तो वे सही ट्रीटमेंट लेते हुए बच्चे की योजना बना सकते हैं, इसके लिए विभिन्न विकल्प मौजूद है.
समाज से एड्स के प्रति डर खत्म करना जरूरी : डॉ. अश्विनी तायडे
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी तायडे ने बताया कि सबसे पहले तो समाज से एड्स के प्रति डर खत्म करना जरूरी है. समाज में इसकी स्वीकृति नहीं होने से लोग इसे छिपाते हैं. इसके कारण सही उपचार नहीं हो पाता और इसका संक्रमण फैलता है. इसके लिए समाज को जागृत होने की जरूरत है.
एड्स का सही तरह से निदान व उपचार करके हम इसका संक्रमण फैलने से रोक सकते हैं. सुरक्षित यौन संबंध, कंडोम का उपयोग, नियमित जांच कराने के साथ ही आईवी ड्रग्स के इस्तेमाल में नीडल व सिरिंज शेयरिंग से परहेज करना चाहिए.