‘Dr Death’ Arrested: अपराध करने वाले व्यक्तियों की मानसिकता इस कदर विकृत होती है कि वह किसी भी हद को पार कर जाते हैं। रोजाना खबरों की हेडलाइन में हत्या की खबर पढ़ना बहुत आम सा लगता है लेकिन जब बात सीरियल किलर की आती है तो हर किसी की रूह कांप जाती है। सीरियल किलर अन्य अपराधियों से आम तौर पर भिन्न होते हैं और इनकी साजिश भरी वारदात पुलिस को चकमा देने में माहिर होती है।
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक कुख्यात सीरियल किलर को गिरफ्तार किया है। इस किलर के ऊपर 50 से ज्यादा हत्याएं करने का आरोप है। गौरतलब है कि पैरोल पर रिहा होने के करीब दो साल बाद, 'डॉक्टर डेथ' के नाम से कुख्यात डॉ. देवेंद्र शर्मा को 19 मईको दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम से गिरफ्तार कर लिया, जहां वह 'पुजारी' के तौर पर रह रहा था। देवेंद्र शर्मा 67 साल की उम्र में 2000 के दशक की शुरुआत में दिल्ली और अन्य राज्यों में ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों के अपहरण और हत्याओं में शामिल था और उसे किडनी रैकेट में भी शामिल होने का दोषी ठहराया गया था।
2004 में हुआ गिरफ्तार
पहली बार 2004 में गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे 9 जून, 2023 को दो महीने की पैरोल दी गई थी, लेकिन वह जेल लौटने के बजाय छिप गया। डीसीपी आदित्य गौतम ने मंगलवार को बताया कि पुलिस की एक टीम ने अलीगढ़, जयपुर और दिल्ली समेत कई जगहों पर जांच शुरू की। छह महीने की अवधि में, पुलिस ने आगरा और प्रयागराज सहित उसके छिपने के संभावित ठिकानों की तलाश की। 1998 से 2004 तक, 'डॉ डेथ' किडनी प्रत्यारोपण में शामिल था। यूपी के अलीगढ़ के मूल निवासी, शर्मा ने 1984 में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री हासिल की।
उनके पिता बिहार के सीवान में एक दवा कंपनी में काम करते थे। बाद में शर्मा ने राजस्थान में 11 साल तक एक क्लीनिक स्थापित किया और चलाया। 1994 में, गैस डीलरशिप घोटाले में 11 लाख रुपये की धोखाधड़ी के बाद उन्हें एक बड़े वित्तीय झटके का सामना करना पड़ा। 1995 तक, उन्होंने कथित तौर पर अपने घाटे को ठीक करने के लिए एक फर्जी गैस एजेंसी शुरू कर दी। 1998 से 2004 के बीच, शर्मा कथित तौर पर डॉ अमित नामक एक व्यक्ति के साथ मिलकर अवैध किडनी प्रत्यारोपण में शामिल हो गया।
मगरमच्छों को खिलाता था लाश
उन्होंने कथित तौर पर 125 से अधिक अवैध किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा दी, प्रति प्रक्रिया 5 लाख रुपये से 7 लाख रुपये की कमाई की। लगभग उसी समय, वह और उसका गिरोह टैक्सी चालकों के अपहरण और सिलसिलेवार हत्याओं में भी कथित रूप से शामिल थे और उनके शवों को यूपी के कासगंज में मगरमच्छों से भरे हजारा नहर में फेंक दिया था। यूपी में ग्रे मार्केट में बेचे गए प्रत्येक वाहन से उन्हें 20,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच की कमाई होती थी। शर्मा पर 21 ट्रक और टैक्सी चालकों की हत्या का आरोप लगाया गया था और उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उसे टैक्सी चालक की हत्या के लिए गुड़गांव की एक अदालत ने मौत की सजा भी सुनाई थी।
शर्मा ने 50 से अधिक लोगों की हत्या करना कबूल किया। उसके भयानक अपराधों के कारण उसकी पत्नी और बच्चे उसे छोड़कर चले गए। 2020 में, शर्मा को 20 दिन की पैरोल दी गई थी, लेकिन वह जमानत की अवधि तोड़कर दिल्ली में पकड़े जाने से पहले सात महीने तक फरार रहा। जून 2023 में, उसे फिर से दो महीने की पैरोल दी गई, लेकिन वह जेल वापस नहीं लौटा।