कोलकाताःदेश में हर सेकेंड महिलाओं के साथ हैवानियत हो रहा है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक विधि महाविद्यालय (कॉलेज) की एक छात्रा के साथ संस्थान के भीतर सामूहिक गैंगरेप किया गया। महिला ने शिकायत में कई गंभीर आरोप लगाए हैं और न्याय की मांग की है। छात्रा ने शिकायत में कहा कि मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा जो कि एक पूर्व छात्र है। पीड़िता ने कहा कि उसे घबराहट का दौरा पड़ा और सांस लेने में तकलीफ हुई, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली। मैंने उनसे अस्पताल ले जाने के लिए कहा, लेकिन वे मेरी मदद नहीं कर रहे थे। उन्होंने कॉलेज के मुख्य द्वार को बंद कर दिया था और गार्ड असहाय था और उसने मदद नहीं की। उसने कहा कि मुख्य आरोपी के पैर छूने और भीख मांगने के बावजूद, उसने उसे जाने नहीं दिया।
वे मुझे फिर से कमरे में ले गए, वे मुझे जबरदस्ती गार्ड रूम में ले गए, मेरे कपड़े उतारे और मेरे साथ जबरदस्ती बलात्कार करना शुरू कर दिया। महिला ने कहा कि हमले को फिल्माया गया और उसे चुप रहने के लिए ब्लैकमेल किया गया। जब आरोपी मेरे साथ बलात्कार कर रहा था, तब उन्होंने मेरा वीडियो रिकॉर्ड किया। उन्होंने मुझे धमकी दी कि अगर मैंने सहयोग नहीं किया, तो वे ये वीडियो सबको दिखा देंगे।
उसने आगे कहा कि जब उसने जाने की कोशिश की, तो उन्होंने उसे हॉकी स्टिक से मारने की कोशिश की। मुझे न्याय चाहिए। शिकायत में उसने कहा कि सामूहिक बलात्कार से पहले उसे और सात अन्य लोगों को परिसर के अंदर यूनियन रूम में बुलाया गया, जहां मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा ने यूनिट, अपने निजी जीवन और अपनी शक्ति के बारे में बात की।
बाद में अन्य आरोपियों में से एक प्रमित मुखर्जी ने उसे बाहर बुलाया और मोनोजीत और यूनिट के प्रति उसकी वफादारी के बारे में पूछा। 24 वर्षीय पीड़िता बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे परीक्षा से संबंधित फॉर्म भरने के लिए कॉलेज पहुँची थी। वह पहले कॉलेज के यूनियन रूम में बैठी थी। शिकायत के अनुसार बाद में आरोपी ने निर्देश दिया कि कॉलेज का मुख्य गेट बंद कर दिया जाए।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसके बाद कैंपस में सुरक्षा गार्ड के कमरे में उसके साथ बलात्कार किया गया। यह घटना कथित तौर पर 25 जून को शाम 7.30 बजे से 10.50 बजे के बीच कॉलेज परिसर में घटित हुई। पुलिस ने पीड़िता की प्रारंभिक चिकित्सा जांच की, गवाहों के बयानों की जांच की और फोरेंसिक जांच के लिए घटनास्थल को सुरक्षित कर लिया।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘पीड़िता ने आरोप लगाया है कि तीनों आरोपियों ने उत्पीड़न की मोबाइल फुटेज अपने पास रख ली थी और धमकी दी थी कि अगर उसने घटना के बारे में किसी से बात की, तो वे इसे इंटरनेट पर डाल देंगे।’’ अधिकारी ने बताया कि तीनों आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है।
कस्बा ‘सामूहिक दुष्कर्म’ मामले में वामपंथी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प
दक्षिण कोलकाता के एक कॉलेज परिसर में एक छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के विरोध में कस्बा पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे वामपंथी छात्र संगठन ‘एसएफआई’ और युवा संगठन ‘डीवाईएफआई’ के सदस्यों को हटाने के लिए सुरक्षा कर्मियों द्वारा बल प्रयोग किए जाने पर पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हो गयी।
झड़प में कई प्रदर्शनकारियों के घायल होने की खबरें हैं और पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और उन्हें शहर पुलिस के मुख्यालय लालबाजार ले जाया गया। यादवपुर प्रखंड की पुलिस उपायुक्त बिदिशा कालिता दासगुप्ता के नेतृत्व में लाठियां लहराते पुलिस और आरएएफ कर्मियों की एक बड़ी टुकड़ी ने कस्बा में राजदंगा मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने का प्रयास किया और इसी दौरान झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों को पुलिसकर्मियों के हाथों से डंडे छीनने की कोशिश करते देखा गया।
प्रदर्शनकारियों ने अपने कुछ साथियों को पुलिस कर्मियों की गिरफ्त से छुड़ाने की भी कोशिश की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सड़क पर काफी दूर तक उनका पीछा भी किया। प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में कस्बा पुलिस थाने के बाहर एकत्र हुए थे। इससे पहले जादवपुर की उपायुक्त ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है।
पूरी गहनता के साथ जांच कर रही है। उपायुक्त ने लिखा, ‘‘ कस्बा पुलिस ने कानून की छात्रा से जुड़ी यौन उत्पीड़न की शिकायत पर तेजी से और निर्णायक रूप से कार्रवाई की। बिना देरी के प्राथमिकी दर्ज की गई और 12 घंटे के भीतर शिकायत में नामित सभी तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें एक जुलाई 2025 तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जांच पूरी गंभीरता, पेशेवराना अंदाज से और संवेदनशीलता के साथ की जा रही है। हम जनता और डिजिटल मंचों से अपील करते हैं कि वे असत्यापित या भ्रामक सामग्री प्रसारित करने से बचें क्योंकि इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है या इसमें शामिल लोगों की गरिमा से समझौता हो सकता है।’’