निर्भया गैंगरेप मामले के दोषियों को फांसी देने को लेकर गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। इसी के साथ किसी जघन्य अपराध में फांसी की सजा होना और राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकरा देने के बाद भी फांसी टलने को लेकर भी बहस तेज हो रही है। ऐसे समय में इतिहास में झांकने पर पता चलता है कि 5 बच्चों को मौत के घाट उतारने वाली दो हत्यारी बहनें 6 साल बाद भी फांसी के फंदे पर नहीं लटकाई जा सकी है।
मामला महाराष्ट्र का है और 1990 से 1996 को दौरान काफी चर्चित भी रहा है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने इनकी दया याचिका भी ठुकरा दी हैं। बावजूद इसके इन्हें फांसी नहीं दी जा रही है।
ये है मामला रेणुका शिंदे और सीमा गावित इन दो बहनों ने 1990 से 1996 के बीच पुणे, ठाणे, कोल्हापुर, नासिक जैसे शहरों में बच्चों का अपहरण किया। ये दोनों बहनें अपनी मां के साथ मिलकर बच्चा चुराया करती थीं। 1996 में एक बच्चे के अपहरण के आरोप में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। पूछताछ में महिलाओं ने सारे राज बता दिए। इन बहनों ने कई शहरों से 13 बच्चों का अपहरण किया था जिसमें 5 को मौत के घाट उतार दिया था।
जहालत की हदआरोपी सीमा ने एक बच्चे को तो सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि वह बच्चा रोते हुए चुप नहीं हो रहा था। इसी तरह एक अन्य बच्चे के सिर को दीवार में पटक कर उसे मार दिया। इसके बाद उसका टुकड़ा-टुकड़ा कर थैले में बंद करके दोनों बहन सिनेमा देखने चले गई थीं। ॉ
अब तक सिर्फ एक महिला को हुई फांसी
बता दें कि स्वतंत्र भारत में केवल रतन बाई जैन एक महिला अपराधी थी जिसे फांसी की सजा दी गई थीं। इसपर तीन बच्चों की हत्या के आरोप थे। 1955 में इसे फांसी की सजा दी गईं थीं।