मुंबई: यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर खुद को बैंक के सीईओ के पद से हटाने के बाद लंदन चले गए थे और वहीं शरण लेने की फिराक में थे. लेकिन, लालच ने उन्हें फंसा दिया. दरअसल, राणा ने 2004 में यह बैंक स्थापित किया और उसे ऊंचाइयों तक पहुंचाया. लेकिन, जब उसकी बैलेंस शीट में गड़बड़ी दिखने लगी, तो उन्होंने उसे बचाने के लिए निवेश लाने का प्रयास किया.
जब ये प्रयास सफल नहीं हुए और उन्हें नियामक ने बैंक की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया, तो उन्होंने ब्रिटेन में पनाह ली. इस बीच, बैंक में सालभर में कई बार निवेश के करार हुए और टूटे. रिजर्व बैंक को इसकी पड़ताल में पता चला कि इसके पीछे राणा का ही हाथ है. इसके बाद राणा से सूत्रों के जरिये बात में रिजर्व बैंक ने उन्हें बैंक को फिर से पटरी पर लाने के लिए लौटने के लिए कहा.
राणा इस चाल में फंस गए. लौटने के बाद वे मुंबई के वरली में 'समुद्र महल' स्थित आवास में रह रहे थे. इस बीच, सरकारी खुफिया एजेंसियों ने उनकी निगरानी की, ताकि वे फरार न हो सकें. हालांकि, इस बीच सरकार या रिजर्व बैंक ने उनके बैंक में लौटने के संकेत नहीं दिए.
राणा पर कार्रवाई पर सरकार की सहमति से तीन दिन पहले एसबीआई ने यस बैंक में निवेश का ऐलान किया और उसी दिन रिजर्व बैंक ने बैंक पर प्रशासक को नियुक्त कर पाबंदियां लगा दीं. इसी के साथ ईडी ने उनके ठिकानों पर छापे मारे. छापे के दौरान ही पता चला कि राणा फिर से लंदन जानेवाले हैं. लिहाजा, उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया.