नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने उबर जैसे मंचों के जरिए ऑटो रिक्शा या अन्य गैर-वातानुकूलित वाहनों से सफर करने पर जीएसटी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इस याचिका में इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य परिचालक (ईसीओ) के मंच के जरिए ऑटो-रिक्शा की सवारी या बस बुक करने पर कर लगाने के संबंध में केंद्र सरकार की 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि ईसीओ व्यक्तिगत सेवा प्रदाताओं से अलग हैं और अधिसूचना जीएसटी के उद्देश्यों के अनुरूप है कि माल एवं सेवाओं की आपूर्ति के प्रत्येक लेनदेन पर कर लागू है।
इस अधिसूचना के जरिए ईसीओ को पहले दी गई छूट वापस ले ली गई थी। पीठ ने 12 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जीएसटी कानून के इस उद्देश्य को चुनौती नहीं दी है कि प्रत्येक लेनदेन पर कर लगाया जाना चाहिए। इसलिए छूट को वापस लेने और उपभोक्ताओं पर कर लगाने वाली अधिसूचनाएं जीएसटी अधिनियम के घोषित उद्देश्य के अनुरूप है।
पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा भी शामिल हैं। उबर इंडिया के अलावा प्रगतिशील ऑटो रिक्शा ड्राइवर यूनियन, आईबीआईबीओ ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड और मेक माय ट्रिप (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने इस अधिसूचना को चुनौती दी थी।